केरल में आरएसएस के एक कार्यकर्ता और एसडीपीआई के एक कार्यकर्ता की राजनीतिक हत्या के बीच विपक्षी दल कांग्रेस ने वाम सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि राज्य में आजकल सांप्रदायिक और राजनीतिक हत्याओं के बढ़ते मामले मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की ओर से की जा रही सांप्रदायिक तुष्टीकरण का परिणाम है.


राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने कहा कि पुलिस बल हिंसा और हत्याओं की इन घटनाओं का मूकदर्शक बन गया है और लोग भय में जी रहे हैं, क्योंकि उनके जीवन और संपत्ति की कोई सुरक्षा नहीं है. उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्य उत्तर से दक्षिण तक 'गुंडा गलियारा' में बदल गया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और एसडीपीआई जैसी सांप्रदायिक ताकतें राज्य में हिंसा कर रही हैं.


'सरकार के पास किसी का विरोध करने की शक्ति नहीं है'


उन्होंने वर्कला में मीडिया से कहा, "ये सभी हत्याएं मुख्यमंत्री की ओर से सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर की जा रही सांप्रदायिक तुष्टीकरण का परिणाम हैं. सरकार के पास किसी का विरोध करने की शक्ति नहीं है." उन्होंने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक दोनों समुदायों की कट्टरपंथी ताकतों ने पुलिस बल में घुसपैठ की है. उन्होंने कहा कि मार्क्सवादी पार्टी के हाल में संपन्न जिला सम्मेलनों में भी विजयन के नेतृत्व वाले गृह विभाग की आलोचना हुई थी.


श्रीनिवासन की हत्या के पीछे एसडीपीआई- बीजेपी


इस बीच, आरएसएस के कार्यकर्ता की हत्या की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी ने आरोप लगाया कि पीएफआई की राजनीतिक शाखा 'सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया' (एसडीपीआई) श्रीनिवासन की हत्या के पीछे है. 45 वर्षीय श्रीनिवासन पर हमलावरों के एक समूह ने पलक्कड़ शहर में उनकी दुकान पर हमला किया. बताया जा रहा है कि आरोपी मोटरसाइकिल से मौके पर पहुंचे.


पीएफआई के एक नेता की हत्या का मामला


इससे कुछ घंटे पहले यहां पास के एक गांव में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के एक नेता की हत्या का मामला सामने आया था. पीएफआई नेता 43 वर्षीय सुबैर की जिले के एलाप्पल्ली में कथित तौर पर उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह शुक्रवार दोपहर एक मस्जिद में नमाज अदा कर घर लौट रहे थे.


बीजेपी के राज्य महासचिव सी कृष्णकुमार ने पुलिस की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि कानून लागू कराने वाले लोग श्रीनिवासन के खिलाफ हमले की जांच करने में विफल रहे और उन्होंने अपराध के बाद हमलावरों का पता लगाने का प्रयास नहीं किया. उन्होंने आरोप लगाया, "एसडीपीआई पूरे जिले में हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहा है. पुलिस मूकदर्शक बनकर रह गई है. उन्होंने हत्या की जांच करने का कोई प्रयास क्यों नहीं किया. पुलिस की ओर से यह एक गंभीर चूक थी."


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