कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत देश के 13 विपक्षी दलों के नेताओं ने ‘हिंसा और घृणा भाषण’ की हालिया घटनाओं पर चिंता जताते हुए शनिवार को सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी इस बात का प्रमाण है कि ऐसी घटनाओं को आधिकारिक संरक्षण प्राप्त है.


देश के कई राज्यों में हाल ही में सामने आई सांप्रदायिक घटनाओं पर कई पार्टियों के राजनेताओं ने ये संयुक्त बयान जारी किया है. सोनिया गांधी, शरद पवार, ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, हेमंत सोरेन, तेजस्वी यादव और अन्य सहित विपक्षी नेताओं ने लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने और सांप्रदायिक हिंसा के अपराधियों को कड़ी सजा देने की संयुक्त अपील जारी की. इस बयान में कहा गया है कि खानपान, कपड़ों, विश्वास, त्योहार का इस्तेमाल समाज को बांटने के लिए किया जा रहा है. बयान के मुताबिक देश में बढ़ते हेट स्पीच के मामलों को लेकर हम चिंतित हैं. हेट स्पीच देने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई भी नहीं की गई है.


इस जॉइंट स्टेटमेंट में कहा गया है कि हाल ही में देश के कई राज्यों में सांप्रदायिक घटनाएं हुई हैं. हम इसको लेकर बेहद चिंतित हैं, क्योंकि इन सभी घटनाओं का पैटर्न एक ही तरह का है. धार्मिक जुलूस से पहले आग लगाने वाले नफरत भरे भाषण दिए जा रहे हैं. नफरत फैलाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. जारी किए गए बयान के मुताबिक हम इस तरह के मामलों पर पीएम मोदी की चुप्पी से हैरान हैं. 


कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक नेता एमके स्टालिन, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, राजद नेता तेजस्वी यादव, भाकपा महासचिव डी राजा, फॉरवर्ड ब्लॉक के देवव्रत विश्वास, आरएसपी के महासचिव मनोज भट्टाचार्य, आईयूएमएल के महासचिव पीके कुनालिकुट्टी और भाकपा (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने यह साझा अपील की है.






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