Sri Lanka Economic Crisis: भारत ने श्रीलंका को एक बार फिर भारी मात्रा में पेट्रोल भेजा है. भारत ने अपना पड़ोसी धर्म निभाते हुए अपने पड़ोसी देश श्रीलंका की बुरे वक्त में मदद की है. हालांकि ये पहला मौका नहीं है जब भारत ने श्रीलंका को पेट्रोल भेजकर मदद की हो. भारत ने इसके पहले दो बार श्रीलंका को पेट्रोल देकर मदद की थी. सोमवार को भारत ने एक बार फिर श्रीलंका को 40000 मीट्रिक टन पेट्रोल भेजा है. ये तेल आज श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में पहुंचेगा. आपको बता दें कि इन दिनों श्रीलंका में सियासी और आर्थिक दोनों संकट चल रहे हैं. गंभीर आर्थिक संकट के समय पड़ोसी देश भारत ने श्रीलंका को हर तरीके से मदद की है. 


इसके पहले भारत ने श्रीलंका की डूबती अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए एक बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज देने का भी ऐलान किया था. इसके पहले श्रीलंका की मदद के लिए भारत लगभग 2 महीने पहले  36 हजार मीट्रिक टन पेट्रोल और 40 हजार मीट्रिक टन डीजल श्रीलंका को भेजा था. कुल मिलाकर आज से पहले भारत श्रीलंका को 2.70 लाख मीट्रिक टन से अधिक ईंधन का तेल भेज चुका था. बता दें कि श्रीलंका में पेट्रोल की भारी किल्लत है. पिछले दिनों बिजली और ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकेरा ने संसद को बताया था कि हमारे पास पेट्रोल लदे जहाज का भुगतान करने के लिए अमेरिकी डॉलर नहीं हैं.’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा जनवरी 2022 में पिछली खेप के लिए उसी पोत की एक और 5.3 करोड़ डॉलर की राशि बकाया है.







भारत ने श्रीलंका की मदद के लिए भेजी थी दवाइयां 
गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका में जरूरी दवाइयों की भी कमी हो गई थी जिसको देखते हुए भारत ने श्रीलंका को आवश्यक दवाइयों की खेप भी भेजी थी. नेशनल आई हॉस्पिटल कोलंबो के निदेशक डॉ दममिका ने बताया था कि हमारे यहां दवाओं की कमी पड़ गई है जिसके बाद पड़ोसी देश भारत से लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत हमारे यहां दवाएं आ रही हैं. भारत की ओर से ये हमारे लिए बड़ी मदद है. 


1948 के बाद श्रीलंका में सबसे बड़ा आर्थिक संकट
आपको बता दें कि दुनिया में कोरोना महामारी संकट के समय से ही श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट आनी शुरू हो गई थी. श्रीलंका अपनी अर्थव्यवस्था की गिरावट को रोक नहीं सका और अपने देश के दो करोड़ लोगों को भोजन, दवाइयों सहित आवश्यक चीजें भी नहीं मुहैय्या करवा पाया. मौजूदा समय श्रीलंका में चल रहा ये आर्थिक संकट साल 1948 में आए आर्थिक संकट से भी बड़ा है. श्रीलंका में आर्थिक व्यवस्था बिगड़ने के बाद डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपये में तेजी से गिरावट आई जिसकी वजह से उस पर विदेशी कर्ज बढ़ने लगा. 


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