Sri Lanka's Hambantota Port: चीन का जहाज 'युआन वांग-5' जब से श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर आकर खड़ा हुआ है भारत की टेंशन बढ़ गई है. भारत का सुरक्षा को लेकर चिंता करना गलत नहीं है क्योंकि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. पहले भारत और अमेरिका की आपत्ति के बाद श्रीलंका ने चीनी जहाज की एंट्री पर रोक लगा दी थी लेकिन, अब जहाज की एंट्री हंबनटोटा बंदरगाह पर करा दी गई है. 


दरअसल, चीन ने 15 अगस्त को बताया था कि श्रीलंका ने मंगलवार को उसके उपग्रह और मिसाइल निगरानी पोत को अपने बंदरगाह पर आने की अनुमति दे दी थी, लेकिन उसने श्रीलंका के साथ हुई उस बातचीत का ब्योरा नहीं दिया. चलिए आपको बताते हैं वह पांच कारण जो भारत की चिंताओं को बढ़ा रहे हैं. 


भारत की चिंता के कारण 



  1. चीनी जहाज, युआंग वांग 5 में सेंसर हैं, जो टेस्टिंग किए जाने पर भारत की बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक कर सकते हैं. भारत ने ओडिशा के तट से दूर अब्दुल कलाम द्वीप पर अपनी मिसाइलों का परीक्षण किया. 

  2. चीन, जहाज की उच्च-तकनीकी क्षमताओं का उपयोग करते हुए, परीक्षण किए जाने पर भारतीय मिसाइलों की सीमा और सटीकता का आकलन कर सकता है. इस जहाज को 22 अगस्त तक बंदरगाह पर रहने के लिए निर्धारित किया गया है.  

  3. युआंग वांग- 5 समुद्री सर्वेक्षण भी कर सकता है, जो हिंद महासागर में पनडुब्बी संचालन की सुविधा देता है. इससे पहले 2021 में भी एक चीनी जहाज 'जियांग यांग होंग-03' हिंद महासागर में उसी क्षेत्र में काम कर रहा था और सुमात्रा के पश्चिम में एक सर्च पैटर्न को अंजाम दे रहा था. 

  4. 2014 में कोलंबो द्वारा अपने एक बंदरगाह में एक चीनी परमाणु संचालित पनडुब्बी को डॉक करने की अनुमति देने के बाद भारत-लंका संबंध तनाव में आ गए थे. इस बार, श्रीलंका ने कहा है कि जहाज को अपनी ऑटोमेटिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम(AIS) को चालू रखना होगा. 

  5. भारत की चिंताओं को हंबनटोटा बंदरगाह पर केंद्रित किया गया है, जिसे श्रीलंका के विकास के लिए गए ऋणों को चुकाने में असमर्थ होने के बाद 99 सालों के लिए चाइना मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स को पट्टे पर दिया गया था. इसी कारण अब चीन का जासूसी जहाज श्रीलंका के बंदरगाह पर उतर गया है.


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