Shivaji Maharaj Mother Jijabai: मां के समान कोई छाया नहीं है, मां के जैसा कोई सहारा नहीं है, मां के जैसा कोई रक्षक नहीं है और मां से ज्यादा कोई प्रिय नहीं है. महर्षि वेदव्यास की यह लाइनें हमारी असल जिंदगी में भी सही बैठती है. देश के सभी वीर सपूतों की जिंदगी में उनकी माताओं का अहम योगदान रहा है. ऐसे ही देश के वीर सपूतों में से एक शिवाजी महाराज थे. पूरा देश आज (19 फरवरी) छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मना रहा है. शिवाजी का जन्म 1630 में शिवनेरी के पहाड़ी किले में हुआ था.


शिवाजी की माता का नाम जीजाबाई था. शिवाजी से पहले जीजीबाई के पांच बेटे हुए थे, जिनकी मौत हो गई थी. उसके बाद जीजाबाई ने एक ऐसे पुत्र को जन्म दिया जिसने देश, धर्म और कुल का गौरव बढ़ाया. जीजाबाई एक बहादुर मां थी जिन्होंने अपने बेटे को राष्ट्रहित के लिए तैयार करते हुए हिन्दू स्वराज्य का सपना देखा था. शिवाजी महाराज को शक्तिशाली योद्धा बनाने में उनकी मां का बहुत अहम योगदान था.


शिवाजी को सैनिक की तरह किया बड़ा
जीजाबाई ने छोटी ही उम्र में गुरु समर्थ रामदास की मदद से शिवाजी महाराज को एक सैनिक की तरह बड़ा किया. साथ ही उनके अंदर देशभक्ति और वीरता की भावना जगाई. अपनी मां के शब्दों का मान रखने के लिए शिवाजी ने सिंहगढ़ किले को जीतने में अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था. यहां तक कि उन्होंने अपने सबसे अजीज तानाजी को भी इस लड़ाई में खो दिया था.


'तुम्हें अपने आपको मेरा बेटा कहना छोड़ देना चाहिए. तुम चूड़ियां पहनकर घर में बैठो. मैं स्वयं फ़ौज के साथ सिंहगढ़ के दुर्ग पर आक्रमण करूंगी और विदेशी झंडे को उस पर से उतार कर फेंक दूंगी.' जीजाबाई के यह वह शब्द थे जिसने शिवाजी की पूरी जिंदगी बदल दी थी. इसके बाद शिवाजी ने फौज लेकर सिंहगढ़ पर आक्रमण कर दिया था.


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