Central Vista Project: आज सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी. देश की नई संसद और उसके आस-पास के निर्माण के लिए बनाई गई इस परियोजना को प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा है. प्रोजेक्ट के तहत नए संसद परिसर का निर्माण होगा और माना जा रहा है कि ये संसद भवन दुनिया के सबसे आलीशान भवनों में से एक होगा. सरकार का कहना है कि मौजूदा संसद भवन और मंत्रालय बदलती जरूरतों के हिसाब से अपर्याप्त है और मौजूदा संसद भवन भूकंप के लिहाज से सुरक्षित नहीं है लिहाजा नए संसद भवन और नए परिसर की जरूरत है.


आखिर क्या है यह प्रोजेक्ट? आज हम इस प्रोजेक्ट के बारे में बताते हैं कि इस सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में खास क्या होगा और इसकी खूबियां क्या हैं.


*नए संसद भवन का निर्माण जिस जमीन पर किया जा रहा है यह पार्क बनाने के लिए छोड़ा गया था जिस 9.5 एकड़ जमीन पर संसद भवन का निर्माण किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट कहा जाता है. सेंट्रल विस्टा रीडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट के तहत उपराष्ट्रपति आवास समेत लुटियंस दिल्ली की कई बिल्डिंग को तोड़ा जाएगा.


* इस प्रोजेक्ट को तैयार होने के बाद इसे सत्ता का नया गलियारा कहा जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत प्रधानमंत्री आवास और पीएमओ को साउथ ब्लॉक के पास शिफ्ट किया जा सकता है. इसके साथ ही उपराष्ट्रपति का नया घर नॉर्थ ब्लॉक के आसपास हो सकता है. इसके अलावा पीएम आवास और कार्यालय दोनों काफी करीब होगा.


*सेंट्ल विस्टा प्रोजेक्ट में बनने वाली संसद में लोकसभा में 876 सीट और राज्यसभा में 400 सीट होगी. इसमें 1224 सीट वाले सेंट्रल हॉल का निर्माण होगा. इससे संसद की संयुक्त बैठक के दौरान सदस्यों को अलग से कुर्सी लगा कर बैठाने की ज़रूरत खत्म हो जाएगी.


* सेंट्रल विस्टा में 10 इमारतों में 51 मंत्रालय बनाए जाएंगे. अभी यह मंत्रालय एक-दूसरे से दूर 47 इमारतों से चल रहे हैं.


*मंत्रालयों को नजदीकी मेट्रो स्टेशन से भूमिगत जोड़ा जाएगा और राष्ट्रपति भवन के करीब पीएम और उपराष्ट्रपति का निवास बनेगा. अभी दोनों के निवास स्थान राष्ट्रपति भवन से दूर हैं.


*नए सेंट्रल विस्टा का निर्माण करते हुए पर्यावरण का ध्यान रखा जाएगा और हेरिटेज इमारतों को नुकसान भी नहीं पहुंचाया जाएगा.


*सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नया त्रिकोणीय संसद भवन, कॉमन केंद्रीय सचिवालय और तीन किलोमीटर लंबे राजपथ को रीडेवलप किया जाएगा. नए संसद भवन में 900 से 1,200 सांसदों की बैठने की क्षमता विकसित की जाएगी.


*इस प्रोजेक्ट के तहत निर्माण करने वाली कंपनी को 229.75 करोड़ का भुगतान किया जाएगा. फर्म की जिम्मेदारी प्रोजेक्ट का मास्टर परियोजना तैयार करने की होगी, जिसमें डिजाइन, लागत अनुमान, लैंडस्केप और ट्रैफिक इंटीग्रेशन प्लान और पार्किंग की सुविधा शामिल है.


*इस प्रोजेक्ट के कारण नेशनल म्यूजियम और इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर ऑफ आर्ट को भी यहां से हटाना पड़ेगा. इस प्रक्रिया की जद में जनपथ, मान सिंह रोड और विजय चौक के आसपास के बहुत से सांस्कृतिक इमारत भी आ सकते हैं.


*सरकार का कहना है कि पुरानी संसद एक ऐतिहासिक धरोहर है और इसे सहेज कर रखने की जरूरत है. समय के साथ किए गए बदलाव से इमारत को धीरे-धीरे नुकसान पहुंच रहा है और इसे भविष्य में संसदीय संग्रहालय की तरह इस्तेमाल किया जाएगा ताकि लोग इतिहास से परिचित हो सकें. इस समय सभी मंत्रालय कई इमारतों में बिखरे हुए हैं और एक से दूसरे मंत्रालय जाने के लिए वाहन का इस्तेमाल करना पड़ता है. मंत्रालयों का किराया देने में हर साल करोड़ों का खर्च होता है और यह कहना गलत है कि सरकारी धन की बर्बादी हो रही है. धन की बर्बादी को रोकने के लिए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट बेहद जरूरी है.


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