नई दिल्ली: केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच सोमवार को विज्ञान भवन में हुई आठवें दौर की बैठक में यूं तो दो मुद्दों पर बात होनी थी, लेकिन चर्चा तीनों कृषि कानूनों के मुद्दे पर ही सिमटकर रह गई. लंच के पहले और बाद में तीनों कानूनों की वापसी की मांग पर ही किसान नेता अड़े रहे. नतीजन, बैठक बेनतीजा रही. दोनों पक्ष के बीच तीनों कानूनों के मुद्दे पर इस कदर चर्चा चली कि एमएसपी को कानूनी जामा देने की मांग पर बहस ही नहीं हो पाई.


बैठक के बाद किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब के नेता सुखविंदर सिंह सभरा ने कहा, 'सरकार की नीयत में खोट है. 8 जनवरी को 8वें दौर की बात होगी. बातचीत में कुछ निकलता दिखाई नहीं दे रहा. सरकार एक कदम भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि कानून फायदेमंद हैं. PM खुद बैठक कर कानूनों को निरस्त करने की बात करें.'


"कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं"
सरकार के साथ किसान नेताओं की मुलाकात के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, 'आठ जनवरी को सरकार के साथ फिर से मुलाकात होगी. तीनों कृषि कानूनों को वापिस लेने पर और MSP दोनों मुद्दों पर 8 तारीख को फिर से बात होगी. हमने बता दिया है कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं.'


किसान नेता दर्शन पाल ने कहा, 'सरकार को यह बात समझ आ गई है कि किसान संगठन कृषि कानूनों को रद्द किए बिना कोई बात नहीं करना चाहते हैं. हमसे पूछा गया कि क्या आप कानून को रद्द किए बिना नहीं मानेंगे, हमने कहा हम नहीं मानेंगे.


बैठक में शामिल हुए एक अन्य किसान नेता ने कहा, 'हमने बताया कि पहले कृषि कानूनों को वापिस किया जाए, MSP पर बात बाद में करेंगे. 8 तारीख तक का समय सरकार ने मांगा है. उन्होंने कहा कि 8 तारीख को हम सोचकर आएंगे कि ये कानून वापिस हम कैसे कर सकते हैं, इसकी प्रक्रिया क्या हो.'


बैठक में क्या-क्या हुआ
विज्ञान भवन में सोमवार को ढाई बजे से आठवें दौर की बैठक शुरू हुई. आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले कई किसानों का मुद्दा उठाते हुए बैठक में शामिल 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने श्रद्धांजलि का प्रस्ताव रखा. इसके बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय राज्यमंत्री सोम प्रकाश सहित सभी किसान नेताओं ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी. इसके बाद तीनों मंत्रियों ने कहा कि पहले तीनों कानूनों के मुद्दे पर चर्चा हो या फिर एमएसपी से जुड़े मसले पर, क्योंकि आज की बैठक के एजेंडे में यही दो विषय हैं. इस पर किसान नेताओं ने कहा कि वह तीनों कानूनों की वापसी पर सबसे पहले चर्चा चाहते हैं.


कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि कानून बहुत सोच-विचार के बाद बने हैं. इससे किसानों को ही लाभ होगा. उन्होंने कहा कि कई राज्यों के किसान नेताओं ने कृषि कानूनों का समर्थन किया है. ऐसे में हम उनकी बातों को नजरअंदाज नहीं कर सकते. कृषि मंत्री तोमर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकार कानूनों के हर क्लॉज पर चर्चा करते हुए संशोधन को तैयार है. लेकिन इसके लिए सभी राज्यों के किसान नेताओं से बात होगी. इस पर किसान नेताओं ने संशोधन की बात ठुकराते हुए एक सुर में तीनों कानूनों की वापसी की बात कही.


किसान नेताओं ने कहा कि वे कानूनों पर संशोधन नहीं, बल्कि वापसी चाहते हैं. लेकिन मंत्रियों ने कानूनों की वापसी की मांग ठुकरा दी. करीब डेढ़ घंटे की मीटिंग के बाद लंच ब्रेक हो गया. पिछली बैठक में जहां मंत्रियों ने किसानों के साथ लंगर का खाना खाया था. इस बार मंत्रियों और किसानों ने अलग-अलग खाना खाया. लंच के बाद फिर मीटिंग शुरू हुई. इस बार भी किसान नेता कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर अड़ गए. तीनों मंत्रियों की ओर से जहां कृषि कानूनों के फायदे बताए जाते रहे, वहीं किसान नेता कहते रहे, "जो हम चाहते नहीं हैं, वह आप क्यों हमारे लिए करना चाहते हैं." किसान नेताओं ने साफ कह दिया कि वे मांगों का समाधान होने तक दिल्ली की सीमा छोड़कर जाने वाले नहीं हैं. 26 जनवरी की परेड ही नहीं, बल्कि यहीं बजट भी वह देखेंगे.


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