नई दिल्ली: लद्दाख में एलएसी पर भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे गतिरोध के बीच शुक्रवार को प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) बिपिन रावत संसद की रक्षा मामलों की समिति के समक्ष पेश हुए. हालांकि बैठक का आधिकारिक एजेंडा 'सैन्य बलों, विशेषकर सीमा क्षेत्रों में, के लिए राशन के सामान और वर्दी का प्रावधान और इसकी गुणवत्ता की निगरानी' के तौर पर सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन कुछ सदस्यों ने कहा कि वह लद्दाख की स्थिति का मामला भी उठाएंगे.


पहली बार बैठक में राहुल गांधी हुए शामिल


संसद की रक्षा मामलों की समिति के अध्यक्ष बीजेपी नेता जोएल ओराम हैं. समिति की शुक्रवार को हुई बैठक में जो सदस्य शामिल हुए उनमें एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हैं. पिछले साल लोकसभा चुनाव के बाद इस समिति में नामित किए जाने के बाद से राहुल गांधी संभवतः पहली बार इसकी बैठक में शामिल हुए हैं. इससे पहले दिन में शरद पवार ने कहा था कि वह लद्दाख में एलएसी पर स्थिति को लेकर सदस्यों के समक्ष एक प्रेजेंटेशन देने के लिए कहेंगे.


भारत-चीन के बीच गतिरोध जारी


हालांकि भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास कई स्थानों पर तनावपूर्ण गतिरोध बना हुआ है. एलएसी पर 45 साल में पहली बार सोमवार को गोलीबारी हुई.


गुरुवार को भारत-चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक


हालांकि विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच गुरुवार की शाम को हुई वार्ता के बाद दोनों देश एक समझौते पर सहमत हुए हैं. इसके पांच सूत्री खाके में सैनिकों की तत्काल वापसी और चार माह पुराने गतिरोध के हल को लेकर तनाव बढ़ाने वाले किसी कदम से बचना शामिल है. साथ ही यह भी रेखांकित किया गया कि सीमा पर मौजूदा स्थिति किसी भी पक्ष के हित में नहीं है.


सरकारी सूत्रों ने कहा कि भारतीय पक्ष ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की तरफ भारी संख्या में सैनिकों और सैन्य साजो सामान की तैनाती का मुद्दा भी मजबूती से उठाया और अपनी चिंताएं जाहिर की. सूत्र ने शुक्रवार को कहा कि चीनी पक्ष सैनिकों की तैनाती को लेकर कोई पुख्ता स्पष्टीकरण पेश नहीं कर सका.


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