Disproportionate Asset Case: बीते एक हफ्ते से केंद्रीय जांच एजेंसी ने आय से अधिक संपत्ति मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एसएन शुक्ला के खिलाफ केस दर्ज किया है. शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने 2014-2019 के दौरान 2.5 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की. सीबीआई का आरोप है कि पांच सालों में उनकी 165 प्रतिशत से अधिक की संपत्ति बढ़ी है.


दिसंबर 2019 में उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के तत्कालीन न्यायाधीश शुक्ला और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज करने के बाद सीबीआई ने तलाशी ली थी.


क्या है सीबीआई के आरोप?
सीबीआई ने आरोप लगाया कि उसने एसएन शुक्ला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के दस्तावेज और अन्य संपत्तियां मिली हैं. सीबीआई के मुताबिक, शुक्ला ने कथित तौर पर 2014 से 2019 के दौरान परिवार के सदस्यों के नाम पर 2.54 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की और आय के स्रोत पर संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दे सके.


सीबीआई ने कहा है, न्यायाधीश ने जानबूझकर अवैध रूप से धन एकत्र किया और सुचिता तिवारी के नाम पर भ्रष्ट और अवैध तरीकों से संपत्ति का अर्जन किया है.


शक के दायरे में कैस आए जस्टिस शुक्ला?
हिंदुस्तना टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एसएन शुक्ला के जस्टिस रहते हुए ही पीआईएमएस घूसकांड हुआ था. शुक्ला जुलाई 2020 में अपने पद से रिटायर हुए थे और उन पर लखनऊ स्थित मेडिकल कॉलेज के पक्ष में एक आदेश पारित करने के दौरान रिश्वत लेने का आरोप लगा था.


रिश्वतखोरी मामले में उनकी जांच ओडिशा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आईएम कुद्दुसी, भगवान प्रसाद यादव और प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के पलाश यादव, एक मध्यस्थ, भावना पांडे और एक अन्य कथित बिचौलिए सुधीर गिरि के साथ की जा रही थी.  ऐसे में उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने के बाद सीबीआई ने उनके खिलाफ वाद दर्ज कर लिया है.


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