नई दिल्ली: सुएज नहर में बाधा और ब्लॉकेड का सबब बने मालवाहक पोत एमवी एवर गिवन को ग्रेट बिटर लेक इलाके में खड़ा कर उसकी जांच की जा रही है. जहाज़ के रेत में धंसने के कारण करीब 6 दिनों तक रुकी नहर मार्ग की आवाजाही खुल जाने के बाद अब इस घटना के कारणों की पड़ताल के साथ साथ माल से लदे इस भारी जहाज़ की सेहत का भी परीक्षण हो रहा है. हालांकि फिलहाल एवर गिवन के भारतीय चालक दल पर किसी अपराधिक जांच या दंडात्मक कार्रवाई से फिलहाल इनकार किया जा रहा है.


जहाज़ पर चालक दल का प्रबंधन करने वाली बर्नहार्ड शुल्ट्ज़ शिपिंग मैनेजमेंट कम्पनी के प्रवक्ता ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि पूरे घटनाक्रम के दौरान क्रू के सभी सदस्यों ने सुएज नहर प्राधिकरण समेत सभी अधिकृत पक्षों के साथ पूरा सहयोग किया है. इस संबंध में अभी तक चालक दल के खिलाफ किसी आपराधिक जांच प्रक्रिया की कोई जानकारी नहीं है. साथ ही चालक दल के सभी 25 सदस्य सुरक्षित और स्वस्थ हैं.


ध्यान रहे कि रेत में धंसे इस जहाज़ को 29 मार्च की शाम भारतीय समयानुसार करीब शाम साढ़े 6 बजे सुरक्षित पानी पर निकाल लिया गया था. अधिकृत जानकारी के मुताबिक जहाज़ को नहर मार्ग से आगे ग्रेट बिटर लेक इलाके में फिलहाल रोककर उसकी जांच की जा रही है ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि कहीं कार्गो पोत को कोई नुकसान तो नहीं हुआ है.


जानकारों के मुताबिक, यह भी स्वाभाविक ही है कि शिपिंग कारोबार के लिए भरी नुकसान का सबब बन इस हादसे के कारणों की भी जांच की जाए. महत्वपूर्ण है कि 23 मार्च को एमवी एवर गिवन के रेत में धंस जाने के कारण इस व्यस्त समुद्री मार्ग पर करीब 422 पोत फंस गए थे. इसमें अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस आइजनहावर भी शामिल बताया जा रहा है. इतना ही नहीं इस ब्लोकेड के कारण शिपिंग कम्पनियों से लेकर सुएज नहर प्राधिकरण को भी लाखों डॉलर प्रतिदिन का नुकसान उठाना पड़ा है.


गौरतलब है कि 23 मार्च को सुएज नहर के रास्ते नीदरलैंड के रोटरडम जा रहा मलवाहक पोत एमवी एवर गिवन असंतुलित हो किनारे की रेत में धंस गया. बीएसएम कम्पनी के मुताबिक, प्रारंभिक जांच यह बताती है कि इलाके में चली तेज हवाओं के कारण यह हादसा पेश आया. इतना ही नहीं जहाज़ पर उस वक्त चालक दल के अलावा सुएज नहर पर कराने के लिए निर्धारित अनुभवी पायलट भी मौजूद थे.


बहरहाल, दुनिया के व्यस्ततम समुद्री मार्गों में से एक सुएज नहर के इस विरले हादसे के कारणों की जांच ज़रूर होगी. इस कड़ी में सम्बंधित एजेंसियां जहाज के ब्रिज पर मौजूद वॉइस डेटा रिकॉर्डर की भी पड़ताल करेंगे ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर जिस वक्त जहाज़ फंसा तब जहाज़ के कैप्टन, चीफ इंजीनियर और पायलट समेत चालक दल के बीच हुई बातचीत का रिकॉर्ड भी देखा जाएगा. जापानी कम्पनी द्वारा संचालित पनामा फ्लैग वाले इस जहाज़ को विशेषज्ञ ड्रेजिंग टीमों की मदद से रेत से बाहर पानी पर लाया गया. इसके लिए हज़ारों टन रेत को हटाकर रास्ता बनाया गया.


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