Bombay High Court on Domestic Violence: घरेलू हिंसा के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए एफआईआर को रद्द कर दिया कि पति की गर्लफ्रेंड किसी भी तरह से रिश्तेदार नहीं मानी जा सकती. शख्स की पत्नी ने अपने पति और उसके परिवार के ऊपर हिंसा करने का मामला दर्ज कराया था. मामले में जस्टिस अनुजा प्रभदेसाई और जस्टिस नितिन बोरकर ने 18 जनवरी को प्रेमिका की याचिका स्वीकार कर ली और उसके खिलाफ दिसंबर 2022 में हुई एफआईआर को रद्द कर दिया.


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार कपल की शादी साल 2016 में हुई थी. पत्नी ने आरोप लगाया कि उसके पति और उसके घरवाले उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं. पति के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को लेकर दोनों में अक्सर लड़ाई होती रहती थी. उस महिला ने पति की गर्लफ्रेंड को भी आरोपी बनाया था.


पति का था एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर


पत्नी आरोप लगाया कि उसके पति ने गर्लफ्रेंड को व्हाट्सएप पर मैसेज कर उससे शादी करने की बात कही थी. इस मामले में जस्टिस ने 2009 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि रिश्तेदार सिर्फ वहीं माना जाएगा, जिससे खून या विवाह का रिश्ता हो या फिर गोद लेने की स्थिति में ही किसी को रिश्तेदार माना जा सकता है. किसी भी सूरत में गर्लफ्रेंड को रिश्तेदार नहीं माना जा सकता है.


गर्लफ्रेंड रिश्तेदार नहीं- बॉम्बे हाईकोर्ट


कोर्ट ने कहा कि गर्लफ्रेंड उसके पति की रिश्तेदार नहीं है. उस महिला पर सिर्फ यह आरोप है कि शिकायतकर्ता महिला के पति के साथ उसका एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर है और उससे शादी करने के लिए वह अपनी पत्नी पर तलाक का दवाब बना रहा है. हाईकोर्ट ने साफ किया कि गर्लफ्रेंड के खिलाफ उकसाने का कोई आरोप नहीं है. कोर्ट ने कहा, "ऐसे परिस्थिति में उस पर कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. ऐसा करना कानून का दुरुपयोग होगा."


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