Rahul Gandhi Passport: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नए पासपोर्ट बनवाने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) की मांग के मामले को लेकर 26 मई यानी आज राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई होगी. इस मामले में शिकायतकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी को कोर्ट की तरफ से जवाब दाखिल करने को कहा गया. स्वामी ने राहुल गांधी को NOC जारी करने का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि राहुल बार-बार विदेश जाते हैं और उनके बाहर जाने से उनके खिलाफ चल रहे मामलों की जांच पर असर पड़ सकता है. हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि ये उनका मौलिक अधिकार है, लेकिन स्वामी को अपना जवाब दाखिल करने का वक्त दिया गया. 


राहुल गांधी को एनओसी की जरूरत
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि पिछले पांच साल से राहुल बाहर जा रहे हैं और हर सुनवाई पर उनके वकील भी कोर्ट में पेश होते हैं. कोर्ट ने कहा राइट टू ट्रैवल मौलिक अधिकार है. एसीएमएम मेहता ने कहा कि गांधी को दिसंबर 2015 में जमानत देते हुए अदालत ने उनकी यात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था. मजिस्ट्रेट ने कहा कि अदालत ने गांधी की यात्रा पर प्रतिबंध लगाने संबंधी स्वामी के अनुरोध को तब खारिज कर दिया था. बता दें कि संसद सदस्यता जाने के बाद राहुल गांधी ने डिप्लोमैटिक पासपोर्ट सरेंडर कर दिया था. नेशनल हेराल्ड मामले में नाम होने की वजह से राहुल को साधारण पासपोर्ट जारी कराने के लिए कोर्ट से NOC की जरूरत है.


वहीं राहुल गांधी ने अपनी याचिका में कहा है कि नेशनल हेराल्ड मामले में जमानत देते वक्त कोर्ट ने देश से बाहर जाने पर कोई रोक नहीं लगाई थी. अब राहुल की याचिका पर एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट वैभव मेहता की कोर्ट में आज सुनवाई होगी.


क्या है पूरा मामला
राहुल गांधी को गुजरात के सूरत की एक अदालत ने आपराधिक मानहानि के एक मामले में दोषी दिया था जिसके बाद सांसद के रूप में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था. इसके बाद राहुल ने राजनयिक यात्रा दस्तावेज लौटा दिए थे. गांधी ने ‘सामान्य पासपोर्ट’ हासिल करने के लिए एनओसी पाने के लिए अदालत का रुख किया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सरनेम’ के बारे में टिप्पणी को लेकर दायर मानहानि के मामले में कांग्रेस नेता की सजा को निलंबित कर दिया गया है.


नेशनल हेराल्ड मामला सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ स्वामी की एक निजी आपराधिक शिकायत पर आधारित है, जिसमें उन पर धोखाधड़ी, साजिश और आपराधिक विश्वासघात का आरोप लगाया गया है. कोर्ट ने 9 दिसंबर, 2015 को उन्हें जमानत देते हुए कहा था कि आरोपी प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं और इस बात की कोई आशंका नहीं है कि वो देश छोड़कर भाग जाएंगे.