बर्ड फ्लू या एविएन इन्फ्लुएन्जा संक्रामक बीमारी है. ये इन्फ्लुएन्जा वायरस के स्ट्रेन से प्रमुख रूप से पक्षियों को प्रभावित करनेवाली बीमारी है. 90 के दशक में बर्ड फ्लू की नई किस्म की पहचान सामने आई थी. बर्ड फ्लू का नया स्ट्रेन गंभीर बीमारी और मौत का कारण बनने खासकर घरेलू पक्षियों जैसे बत्तख, मुर्गी या टर्की में अपनी क्षमता के लिए उल्लेखनीय था. उस स्ट्रेन को अत्यधिक रोगजनक यानी बहुत गंभीर और संक्रामक एविएन इन्फलुएन्जा कहा गया और उसका नाम H5N1 दिया गया. वायरस संक्रमित पक्षियों से फैलता है. सेहतमंद पक्षी संक्रमित पक्षियों के दूषित मल या स्राव से संक्रमित हो जाते हैं.


दूषित सतह जैसे पिंजरा के छूने से भी वायरस को एक पक्षी से दूसरे पक्षी तक पहुंचने की इजाजत मिल जाती है. पक्षियों में संक्रमण से अंडे के उत्पादन में मामूली कमी से लेकर प्रमुख अंगों का फेल्योर और मौत होता है. इंसानों में बर्ड फ्लू का इतिहास छोटा है. अत्यधिक रोगजनक एविएन इन्फ्लुएन्जा से बीमारी का पहला इंसानी मामला 1997 में उजागर हुआ था. वायरस में म्यूटेशन अक्सर होते रहता है और हो सकता है कि कुछ म्यूटेशन ज्यादा संक्रामक वायरस पैदा कर सकते हैं. लेकिन संतोष की बात ये है कि अभी तक होनेवाले म्यूटेशन ने वायरस को ज्यादा संक्रामक नहीं बनाया है, लेकिन चिंता बरकरार है.


बर्ड फ्लू के जोखिम क्या हैं?
किसी इंसान को संक्रमित पक्षियों या उनके संक्रमित पंख या मल के संपर्क में आने से बर्ड फ्लू हो सकता है. जोखिम के कारकों में बीमार पक्षियों की देखभाल और बीमार पक्षियों को मारना और खिलाना पिलाना शामिल है. दुनिया भर में रोजाना पोल्ट्री के संपर्क में लाखों लोग आते हैं. उसके बावजूद इंसानों में बर्ड फ्लू के मामले अपवाद पाए गए हैं. इससे पता चलता है कि बर्ड फ्लू वायरस का इंसान की कोशिकाओं को संक्रमित करना कितना मुश्किल है. हालांकि, बीमार पोल्ट्री के सीधे संपर्क में आने से बर्ड फ्लू का सबसे ज्यादा खतरा होता है. पक्षी के अंडे या मल के अप्रत्यक्ष संपर्क में आने से भी जोखिम रहता है.


क्या बर्ड फ्लू संक्रामक है?
बर्ड फ्लू बहुत सारी पक्षियों की प्रजातियों के बीच बहुत संक्रामक है. मगर आम तौर से एविएन इन्फ्लुएन्जा का वायरस या बर्ड फ्लू इंसानों यहां तक कि पोल्ट्री का काम करनेवालों के लिए बहुत संक्रामक नहीं है. हालांकि, इंसानों से इंसानों में बीमारी फैलने के छिटपुट मामले सामने आए हैं. बर्ड फ्लू से संक्रमित किसी शख्स की देखभाल करना भी बीमारी के लिए जोखिम फैक्टर है.


क्या हैं बर्ड फ्लू के लक्षण?
आम तौर से संक्रमित होने के 2-8 दिनों के बाद लक्षण लगभग जाहिर होते हैं. संक्रमित लोगों को सामान्य फ्लू जैसे लक्षणों का सामना होता है. उन लक्षणों में तेज बुखार, खांसी, गले की खराश, मितली, उल्टी, सिर दर्द, जोड़ों का दर्द, इनसोमनिया और आंखों का संक्रमण शामिल है. बच्चों को भी वही लक्षण सामने आते हैं. ये वायरल संक्रमण बढ़कर न्यूमोनिया हो सकता है और कभी-कभी तो सांस की परेशानी भी हो सकती है. बर्ड फ्लू न्यूमोनिया का बहुत आक्रामक शक्ल की वजह बनता है जो अक्सर घातक होता है.


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