बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने ऐसा प्रदर्शन किया जिसकी लंबे समय तक चर्चा रहेगी. बीजेपी करीब 90 सीटों पर निर्णायक बढ़त लेती दिखी और पूरा गठबंधन 200 के आंकड़े को पार कर गया. इस जीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की भूमिका तो प्रमुख रही, लेकिन बीजेपी के भीतर यह भी माना जा रहा है कि चुनाव के तीसरे बड़े रणनीतिकार थे केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, जिन्होंने सितंबर 2024 से बिहार में लगातार रहकर चुनाव की बारीकियों पर काम किया.

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धर्मेंद्र प्रधान को चुनाव प्रभारी बनाए जाने के बाद से ही उन्होंने बूथ स्तर तक पूरी चुनाव मशीनरी को मजबूत किया. वे महीने दर महीने गांवों, कस्बों और जिलों में सीधे कार्यकर्ताओं से जुड़े रहे और माइक्रो मैनेजमेंट की योजना खुद देखी. उनके एबीपी इंटरव्यू में कई बातें सामने आईं जिन्होंने स्पष्ट किया कि जीत संयोग नहीं, बल्कि पहले से तैयार की गई सोची-समझी रणनीति थी

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क्या इतनी बड़ी जीत की उम्मीद थी?

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उन्हें पहले ही विश्वास था कि बिहार की जनता एनडीए की ओर झुकेगी. उनका कहना था कि राज्य के मतदाताओं ने लंबी अवधि के विकास कार्यों को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया.उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं, युवाओं और गरीब तबकों ने एनडीए को मजबूत समर्थन दिया, क्योंकि वे स्थिरता और नीतिगत काम में भरोसा कर रहे थे.

'मैं कोई शिल्पकार नहीं, सिर्फ एक कार्यकर्ता हूं'- धर्मेंद्र प्रधान

धर्मेंद्र प्रधान से पूछा गया कि क्या 2010 जैसा इतिहास फिर दोहराया गया तो उन्होंने विनम्रता दिखाते हुए कहा कि सभी श्रेय जनता का है. उन्होंने खुद को सिर्फ एक कार्यकर्ता बताया जिसने संगठन के निर्देश पर काम किया.

इतनी भव्य जीत के पीछे क्या वजह रही?

प्रधान के अनुसार असली कारण जनता की सोच और उनकी आकांक्षाएं थीं. लोगों ने विकल्प तलाशा और उन्हें एनडीए पर भरोसा मिला. उनका कहना था कि चुनाव में मुद्दे विकास से जुड़े थे और इसी पर जनता ने अपनी राय दी.

महिलाओं को रुपए देने वाले आरोप पर प्रधान का जवाब

बिहार में चुनाव के पहले महिलाओं का रुपए देने के आरोप पर जवाब दिया. इस मु्द्दें पर विपक्ष के नेता संजय राउत ने यह आरोप लगाया था कि महिलाओं को 10,000 रुपये देकर वोट खरीदे गए. धर्मेंद्र प्रधान ने इसे अपमानजनक बताते हुए कहा कि जब किसी के पास तर्क न बचे तो वे ऐसी बातें करते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार की जनता की समझदारी को कम करके नहीं आंकना चाहिए.

महागठबंधन क्यों हार गया?

बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की करारी हार पर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि विपक्ष ने न तो स्पष्ट अभियान चलाया और न ही कोई ठोस मुद्दा रखा. विकास की जगह वोट चोरी जैसी बातों में उलझा रहा. वहीं दूसरी तरफ जनता का भारी मतदान एनडीए के पक्ष में माहौल बनाया गया.

क्या मुस्लिम और यादव वोट NDA में आए?

धर्मेंद्र प्रधान से पूछा गया कि क्या मुस्लिम और यादव वोट NDA में आए तो उन्होंने इस सवाल पर टिप्पणी करने से मना किया. उन्होंने कहा कि विस्तृत नतीजों के बाद ही सामाजिक आधार का विश्लेषण किया जा सकता है,लेकिन उनकी नीति सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की है, सबका साथ, सबका विकास.

मुख्यमंत्री कौन बनेगा? BJP का या नीतीश कुमार फिर से?

इंटरव्यू के दौरान सबसे ज्यादा पूछे गए सवालों में यह शीर्ष पर रहा. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, इसलिए माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री बीजेपी से हो सकता है, लेकिन धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि फैसला NDA संयुक्त रूप से करेगा. उन्होंने नीतीश कुमार की प्रशंसा भी की और उन्हें अनुभवी नेता बताया. यानी उन्होंने न स्पष्ट हां कही, न ही इनकार किया.

नीतीश कुमार को लेकर कोई नाराजगी क्यों नहीं दिखी?

धर्मेंद्र प्रधान से नीतीश कुमार से जुड़ा सवाल पूछा गया कि उनको लेकर कोई नाराज़गी क्यों नहीं दिखी? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की विश्वसनीयता, प्रशासनिक अनुभव और गठबंधन की एकता ही उनकी ताकत है. उन्होंने दोहराया कि NDA में हर दल को समान सम्मान मिलता है.

क्या धर्मेंद्र प्रधान BJP अध्यक्ष बनने वाले हैं?

धर्मेंद्र प्रधान से जब पूछा गया कि क्या आप  BJP अध्यक्ष बनने वाले हैं तो इस सवाल पर उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि अभी वे सिर्फ बिहार की जीत का लड्डू खाने का आनंद ले रहे हैं. उन्होंने मजाक में कहा कि टीवी स्टूडियो में बैठकर पार्टी अध्यक्ष नहीं चुना जाता.

बिहार के बाद अब लक्ष्य बंगाल

प्रधानमंत्री मोदी ने जीत के संबोधन में कहा कि अगला बड़ा अभियान बंगाल में चलेगा. धर्मेंद्र प्रधान ने इसे लेकर कहा कि जब प्रधान सेनापति आदेश दे चुके हैं तो कार्यकर्ता पूरी तैयारी में जुट जाते हैं.

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