बिहार विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी और महागठबंधन का 'वोट चोरी' मुद्दा फ्लॉप साबित हुआ है. राज्य की जनता ने कांग्रेस-राजद के नारों पर वोट देने के बजाय नीतीश कुमार की योजनाओं और भाजपा की विकास यात्रा को समर्थन दिया है. कांग्रेस की बिहार में हार पर अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बयान जारी किया है. इसमें उसने कहा है कि जैसे हमने राहुल गांधी का स्वागत बिहार में किया, वैसे ही हम उनका स्वागत असम में भी करते हैं. वह हमारे "Star Campaigner" हैं.

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असम मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, बिहार में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन और माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में विकास और विश्वास के सुंदर कालखंड का साक्षी बन रहा है. विधानसभा में NDA की यह जीत स्पष्ट करती है कि राज्य की जनता जनार्दन हमारी double engine सरकार पर अटूट भरोसा रखती है.

नहीं चला वोट चोरी का नारा 

राजद-कांग्रेस के प्रचार अभियान का मुख्य आकर्षण राहुल गांधी का 'वोट चोरी' वाला नारा था. राहुल गांधी का बिहार का चुनावी कैंपेन 'वोट चोरी' पर केंद्रित रहा. राज्यभर में उन्होंने यात्राओं और चुनावी अभियानों से लगभग 116 विधानसभा सीटों को कवर किया. हालांकि, नतीजों के दिन कांग्रेस ने सिर्फ 3 सीटों पर ही जीत दर्ज की, जबकि तीन पर बढ़त बनाए हुए हैं.  

बता दें, 1952 में बिहार में पहली बार 239 सीटें जीतने वाली कांग्रेस पार्टी 15 साल पहले सिर्फ चार पर सिमट गई थी. 2010 में बिहार में उसे पहली बार सबसे कम सीटें मिली थीं. हालांकि, कांग्रेस का यह रिकॉर्ड इस चुनाव में टूट सकता है. शाम 4 बजे तक के चुनाव आयोग के आंकड़े नतीजों में तब्दील हुए तो यह बिहार की राजनीति में कांग्रेस की अब तक की सबसे बड़ी हार होगी.

सिर्फ यही नहीं, राहुल गांधी के हारने के रिकॉर्ड में 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव भी शामिल हो गया है. पिछले दो दशकों में सबसे पुरानी पार्टी को 95 हार का सामना करना पड़ा है.

इस बार भाजपा की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय तंज कसते हुए कहते हैं, "अगर चुनावी निरंतरता के लिए कोई पुरस्कार होता, तो वह (राहुल गांधी) सभी पर भारी पड़ते. इस दर पर, असफलताएं भी सोच रही होंगी कि वह उन्हें इतनी विश्वसनीयता से कैसे पा लेते हैं."