बिहार में एनडीए प्रचंड बहुमत की ओर बढ़ रही है. बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर अभी तक आए रुझानों में एनडीए 206 तो महागठबंधन 30 सीटों पर आगे है. इस चुनाव में राज्य की मुख्य विपक्षी दल आरजेडी की प्रदर्शन इतना खराब है कि पार्टी इतिहास के सबसे खराब प्रदर्शन को दोहराने जा रही है. साल 2010 में आरजेडी 22 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी और पार्टी को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी नहीं मिली थी. इस चुनाव में भी वही सियासी समीकरण दोहराता नजर आ रहा है.

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सबसे बड़ी पार्टी से अब तक का दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन

बिहार चुनाव 2025 में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली आरजेडी ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें पार्टी सिर्फ 25 सीटों पर आगे नजर आ रही है. बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं और ऐसे में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के लिए आरजेडी को 25 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी.

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2020 के चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. 2005 के विधानसभा चुनाव में जब एनडीए की शानदार जीत के बाद नीतीश कुमार बिहार की सत्ता में आए थे तब आरजेडी ने 55 सीटें जीती थी. उस समय तेजस्वी यादव की मां राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं और आरजेडी राज्य में बढ़ती सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही थी.

प्रचंड बहुमत की ओर एनडीए

बीते 20 सालों के दौरान नीतीश कुमार के कई पाला बदलने के बाद भी बीजेपी और जेडीयू फिर से साथ आए और एक बड़ी जीत की ओर बढ़ रहे हैं. शाम 4:30 बजे तक के रुझानों के अनुसार एनडीए 209 सीटों पर आगे है तो वहीं आरजेडी सिर्फ 25 सीटों पर आगे हैं. अगर यही रुझान नतीजे में तब्दील होते हैं तो तेजस्वी यादव अपनी पार्टी को दूसरी सबसे बड़ी हाल की ओर ले जाएंगे. लालू यादव ने 1997 में आरजेडी की स्थापना की थी और तब पार्टी को शानदार जीत दिलाई थी.

आरजेडी का वोट शेयर सबसे ज्यादा

इस चुनाव की सबसे बड़ी दिलचस्प बात ये है कि आरजेडी का वोट शेयर बाकी सबसे अधिक है. इसका मतलब यह है कि उसने कुछ सीटें बड़े अंतर से जीती हैं, लेकिन कांटे की टक्कर को जीत में बदलने में नाकाम रही.हालांकि अभी कई दौर की मतगणना बाकी है और जैसे-जैसे और वोटों की गिनती होगी वैसे-वैसे तस्वीर साफ होती जाएगी. अभी आरजेडी काफी पीछे है और एनडीए फिर से सरकार बनाता दिख रहा है.

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