Bhima Koregaon Violence: कोरेगांव-भीमा जांच आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार को महाराष्ट्र के पुणे जिले में युद्ध स्मारक पर जनवरी 2018 में हुई हिंसा के संबंध में अपना बयान दर्ज कराने के लिए पांच और छह मई को उसके समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है. वहीं अब जांच आयोग के समक्ष NCP के अध्यक्ष शरद पवार ने एडिशनल एफिडेविट दायर किया है.


इससे पहले NCP के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा था कि उनके पास कुछ ऐसे सबूत हैं जो भीमा कोरेगांव मामले की जांच में और प्रकाश डाल सकते हैं. कमीशन ने उन्हें विटनेस के तौर से बुलाया जिसके बाद उन्होंने एफिडेविट फाइल किया. जानकारी के मुताबिक, पवार ने एफिडेविट 11 अप्रैल 2022 को दायर की थी. बता दें, भीमा कोरेगांव वाली घटना बीजेपी-शिवसेना की सरकार के समय हुई थी. अब जब NCP-शिवसेना-कोंग्रेस की सरकार है तब इस धारा का इस्तेमाल किया जा रहा है. आयोग ने पहले 2020 में पवार को समन भेजा था लेकिन वह कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के कारण उसके समक्ष पेश नहीं हो सके थे. 


साल 2017 में भड़क गई थी हिंसा


कोरेगांव-भीमा की 1818 की लड़ाई की 200वीं बरसी के मौके पर पुणे से करीब 40 किलोमीटर दूर भीमा-कोरेगांव में अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसका कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने विरोध किया. इसके बाद हिंसा भड़क गई थी जिसमें एक शख्स की मौत हो गई थी और कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. 


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