Bharatiya Nyaya Sanhita Bill: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बुधवार (20 दिसंबर) को राजद्रोह और आतंकवाद का  जिक्र कर विपक्षी दलों पर हमला किया. उन्होंने इस दौरान कहा कि इन्होंने राजद्रोह का फायदा उठाया. 


भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि राजद्रोह अंग्रेज लेकर आए थे और इस कारण हमारे स्वतंत्रता सेनानी सालों तक जेल में बंद रहे.


अमित शाह ने लोकसभा में कहा,  ''अंग्रेजों ने राजद्रोह का कानून बनाया. इसके तहत महात्मा गांधी, तिलक महाराज और सरदार वल्लभ भाई पटेल सहित कई स्वतंत्रता सेनानी सालों तक जेल में रहे. विपक्ष में रहते हुए ये राजद्रोह का विरोध तो करते थे, लेकिन सत्ता में रहते हुए इसका दुरुपयोग किया. पहली बार नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐताहासिक निर्णय लेते हुए राजद्रोह की धारा 124क को पूर्णतया समाप्त कर दिया.''


असदुद्दीन ओवैसी का किया जिक्र 
शाह ने कहा, ''ओवैसी साहब हंस रहे हैं. ओवैसी साहब मैं भी साइकोलॉजी पढ़ा हूं और विज्ञान का छात्र हूं. हम राज्दोह की जगह देशद्रोह लेकर आए. देश आजाद हो चुका है. लोकतांत्रिक देश है.  शासन का विरोध कोई भी कर सकता है. इसको लेकर किसी को जेल में नहीं जाना पड़ेगा. ओवैसी साहब कटाक्ष करते हुए हंस रहे हैं तो कहना चाहता हूं कि देश के खिलाफ कोई नहीं बोल सकता.'' 


उन्होंने आगे कहा, ''देश के संसाधनों के साथ कोई खिलवाड़ करेगा तो उसे जेल में जाना पड़ेगा. इस कारण हम लोग देशद्रोह की धारा लाए हैं. अंग्रेजों के बनाए हुए कानून (124 सी) में लिखा था कि सरकार के खिलाफ की गई बात. हम जो इसकी जगह 152 धारा लेकर आए हैं. इसमें देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता तोड़ने वाले के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई है.'' 


अमित शाह आतंकवाद को लेकर क्या बोले?
शाह ने कहा कि कोई कहता है कि सशस्त्र विद्रोह, अलगाववादी गतिविधियां, बम धमाके और गोलीबारी के बाद भी कोई जेल में नहीं जाना चाहिए है तो मैं इससे इत्तेफाक नहीं रखता. देश के खिलाफ जो भी कोई कुछ कहेगा उसे जरूर सजा होगी. 


उन्होंने कहा कि आतंकवादी कृत्यों में एक लाख से ज्यादा लोगों की जान जाने जाने के बाद पहली बार मोदी सरकार ने इसे आपराधिक न्याय कानूनों में जगह देने का काम किया. कुछ सांसद कह रहे हैं कि यूएपीए में सजा होती है, लेकिन (विपक्ष) की प्रभाव वाली जगह में यूएपीए (UAPA) नहीं लगाते थे. इस कारण आतंकवादी बच जाते थे. ऐसे में हमने मूल कानून में ही बदलाव करके आतंकी गतिविधि करने वालों लोगों को जेल से बाहर आने का रास्ता ही बंद कर दिया.  


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