कर्नाटक के बेंगलुरु से बेहद ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है. शहर के राजाजीनगर के ईएसआई अस्पताल में दो ऐसे शव मिले हैं जिनकी मौत कोरोना की पहली लहर के दौरान हुई थी और उनका अंतिम संस्कार ना करते हुए परिजनों को गुमराह किया गया. 


दरअसल, कोरोना की पहली लहर में हुई मौत के बाद इनका अंतिम संस्कार किया जाना था लेकिन अस्पताल प्रशासन ने लापरवाही दिखाते हुए इनका अंतिम संस्कार नहीं किया. जिसकी खबर सामने आने के बाद श्रम मंत्रालय ने बुधवार को राजाजीनगर अस्पताल के निदेशक प्रोफेसर और डीन डॉ जीतेंद्र कुमार जे.एम को हटा दिया और उनके स्थान पर डॉ. रेणुका रमैया को नियुक्त किया. 


दोनों की जुलाई महीने में हुई थी मौत


बताया जा रहा है कि बेंगलुरु की रहने वाली दुर्गा नाम की महिला की 5 जुलाई को मौत हुई थी. अस्पताल प्रशासन ने उनका शव परिजनों को नहीं सौंपा था. वहीं, दूसरा मिला शव मणिराजू नाम के शख्स का है जिनकी उम्र 50 साल की थी और उनकी मौत 2 जुलाई को हुई थी. 


पीड़ित परिवार वालों को अस्पताल प्रशासन ने किया गुमराह


अस्पताल प्रशासन ने उनके शव शवगृह में रखे थे और अंतिम संस्कार नहीं किया गया. हालांकि प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को गुमराह किया कि शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया है. जबकि शव 16 महीने से अधिक समय तक मुर्दाघर में कथित तौर पर शव पड़े रहे.


मीडिया के एक वर्ग द्वारा मामले की सूचना दिए जाने के बाद, परिवार को अस्पताल के अधिकारियों के इस कृत्य के बारे में पता चला.


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