Bengaluru News: बेंगलुरु में मेक-ए-विश फाउंडेशन (Make A Wish Foundation) की वजह से हाई स्कूल के दो छात्रों का सपना पूरा हुआ और दोनों एक दिन के लिए आईपीएस ऑफिसर (IPS Officer) बन गए. दोनों के चेहरे पर पुलिस (Police) की वर्दी पहनकर आई खुशी को देखकर पूरा पुलिस स्टेशन (Police Station) खुश नजर आया. दरअसल, यह मेक ए विश फाउंडेशन की तरफ से उन दो छात्रों की इच्छाओं को पूरा करने और उनके चेहरे पर मुस्कान देखने के पहल का एक हिस्सा था. दोनों छात्र अभी बेंगलुरु (Bengaluru)के हाई स्कूल में पढ़ रहे हैं और कैंसर (Cancer)के मरीज हैं. दोनों का इलाज चल रहा है.


पुलिस उपायुक्त, दक्षिण-पूर्व डिवीजन के कार्यालय में कल का दिन खास था. यह एक विशेष गुरुवार था, जब 13 वर्षीय, मिथिलेश और मोहम्मद सलमान खान, पुलिस की वर्दी में कार्यालय में आए और एक परिचय के बाद पुलिस कर्मचारियों से सलामी ली.


वर्दी पहन थाने पहुंचे दो स्पेशल आईपीएस


डीसीपी, साउथ-ईस्ट डिवीजन, सी.के. बाबा ने कहा किअधिकारियों से क्षेत्र के घटनाक्रम के बारे में जानकारी लेने से पहले दोनों बच्चे कार्यालय में चले गए और कुछ देर वहीं बैठे रहे. उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम मेक-ए-विश फाउंडेशन की उन दो लड़कों की इच्छाओं को पूरा करने की पहल का हिस्सा था, जो बेंगलुरु के हाई स्कूल में पढ़ रहे हैं और कैंसर का इलाज करवा रहे हैं."


डीसीपी ने बताया-दोनों लड़कों की इच्छा पूरी की गई


डीसीपी ने बताया-पहल के हिस्से के रूप में दोनों लड़कों की इच्छा पूरी की गई. दोनों लड़के जो आईपीएस अधिकारी बनना चाहते थे, ने कोरमंगला कार्यालय में दक्षिण-पूर्व डिवीजन के डीसीपी की भूमिका निभाई." कार्यक्रम के हिस्से के रूप में सलमान और मिथिलेश को गतिविधियों और अभ्यासों के बारे में जानकारी मिली और यहां तक ​​कि डीसीपी के नियमित काम के तहत वे पुलिस स्टेशन भी गए और स्टेशन पर कर्मचारियों ने उनके सामने घरेलू हिंसा का मामला पेश किया और दोनों लड़कों ने शिकायत सुनकर आवश्यक निर्देश जारी किए.


लड़कों ने बताया-आईपीएस क्यों बनना चाहते हैं


जहां सलमान ने पुलिस अधिकारी बनने के अपने सपने के पीछे की वजह को साझा किया और बताया कि यह एक महान पेशा है जो संकट में कई लोगों को सांत्वना प्रदान कर सकता है. मिथिलेश ने कहा कि उन्हें यातायात प्रबंधन और सड़क अनुशासन में अधिक रुचि है.


लड़कों के चेहरे पर मुस्कान देख अच्छा लगा


दोनों लड़कों ने पुलिस कर्मचारियों के साथ दोपहर का भोजन किया और उसके बाद पुलिस अधिकारियों द्वारा उन्हें स्मृति चिन्ह के रूप में उपहार दिए गए. डीसीपी, साउथ-ईस्ट डिवीजन, सी.के. बाबा कहा, "दोनों बच्चों के सपने को साकार करना और उसका हिस्सा बनना एक बहुत अच्छा अहसास था. दोनों कैंसर से जूझ रहे हैं और उनके चेहरे पर मुस्कान दिखी, ये बहुत बड़ी बात है."


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