राजधानी दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत सभी बड़े नेता मौजूद थे. इस बार के समारोह में 26 बैंड की भागीदारी हुई. इस मौके पर तीनों सेनाओं के धुन एक साथ बजाएं जाते हैं. इस बीर बीटिंग रिट्रीट समारोह की शुरुआत 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर मिली जीत के लिए तैयार की गई धुन के साथ की गई.


बीटिंग द रिट्रीट में इस बार 15 मिलिट्री बैंड शामिल थे. इसमें अर्धसैनिक बलों का एक भी बैंड शामिल किया गया. गणतंत्र दिवस के तीन दिन बाद बीटिंग रिट्रीट का आयोजन किया जाता है. भारत में बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी. तब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने इस सेरेमनी को सेनाओं के बैंड्स के डिस्प्ले के साथ पूरा किया था. बीटिंग द रिट्रीट के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति होते हैं. इस साल दर्शकों की संख्या कोरोना के चलते 25 हजार की जगह सिर्फ 4 हजार रखी गई.





हर वर्ष गणतंत्र दिवस के बाद 29 जनवरी की शाम को 'बीटिंग द रिट्रीट' कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. रायसीना रोड पर राष्ट्रपति भवन के सामने इसका प्रदर्शन किया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले गणतंत्र दिवस समारोह का समापन बीटिंग रिट्रीट के साथ ही होता है. बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी आर्मी की बैरक वापसी का प्रतीक है. विश्व में बीटिंग रिट्रीट की परंपरा रही है. लड़ाई के दौरान सेनाएं सूर्यास्त होने पर हथियार रखकर अपने कैंप में जाती थीं, तब एक संगीतमय समारोह होता था, इसे बीटिंग रिट्रीट कहा जाता है.