Maharashtra-Karnataka Border Dispute: महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद जारी है. इसी बीच शिंदे सरकार ने पड़ोसी राज्य के मराठी भाषी गांवों में स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए कदम उठाया है. इसको लेकर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार (5 अप्रैल) को चेतावनी दी. बोम्मई ने कहा कि इसे तुरंत रोका जाए. 


कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, ''मैं महाराष्ट्र सरकार से इसे वापस लेने की अपील करता हूं. ऐसा नहीं होने पर हम भी ऐसे ही प्रोग्राम शुरू करेंगे.'' दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने कर्नाटक के 865 गांवों तक उसकी स्वास्थ्य देखभाल योजना के फायदों का विस्तार करने का आदेश दिया था. 


बोम्मई ने क्या कहा? 


बोम्मई ने कई सारे ट्वीट कर आरोप लगाया कि कर्नाटक के सीमाई गांवों के लोगों को बीमा मुहैया कराने के नाम पर महाराष्ट्र सरकार उनसे यह घोषणापत्र ले रही है जिसमें कहा गया है कि वे महाराष्ट्र के अंतर्गत आते हैं. 


उन्होंने कहा  कि यह निंदनीय है. अगर महाराष्ट्र सरकार का यह आचरण जारी रहा तो कर्नाटक सरकार भी महाराष्ट्र के सीमावर्ती हिस्से में रहने वाले कन्नड़ लोगों की सुरक्षा के लिए ऐसी ही बीमा योजना लागू करेगी. 


'भ्रम पैदा करने की कोशिश'


बोम्मई ने कहा कि कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद सुप्रीम कोर्ट में है लेकिन महाराष्ट्र सरकार दोनों राज्यों के सीमाई इलाकों में भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रही है. कर्नाटक की सीमा के लोगों को बीमा योजना का लाभ देने संबंधी आदेश सही नहीं है. यह दोनों राज्यों के संबंध खराब करने की कोशिश है. 


उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सीमा मुद्दे को लेकर कोई भ्रम पैदा न करने पर सहमत हुए थे. 


कांग्रेस ने क्या कहा? 


विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व सीएम सिद्धरमैया ने कहा कि महाराष्ट्र ने जो किया है, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि अगर इसे तत्काल वापस नहीं लिया गया तो परिणाम अच्छा नहीं होगा. बता दें कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद पहले से ही चल रहा है. 


मामला क्या है? 


महाराष्ट्र ने इसको लेकर सरकारी प्रस्ताव पारित किया. इसमें कहा गया है कि अंत्योदय खाद्य योजना के लाभार्थी, प्राथमिकता समूह वाले परिवार (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 के तहत) और अन्नपूर्णा राशन कार्ड धारक महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य देखभाल लाभ उठा सकते हैं. 


आदेश में कहा गया कि बेलगावी, कारवाड़, कलबुर्गी और बीदर में 12 तहसील के 865 गांवों को महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना में शामिल किया गया है. सरकारी प्रस्ताव के अनुसार, परिवारों को राज्य के चिह्नित 996 प्रकार की बीमारियों के लिए हर साल 1.50 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा. इसमें 34 विभिन्न प्रकार की विशेषज्ञ परामर्श सेवाएं भी शामिल है. 


विवाद क्या है? 


दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद 1957 से है जब भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ था. महाराष्ट्र बेलगावी पर दावा जताता है क्योंकि वहां बड़ी तादाद मराठी भाषी लोगों की है.  वह 800 से अधिक मराठी भाषी गांवों पर भी दावा जताता है जो अभी दक्षिण राज्य का हिस्सा है. 


ये भी पढ़ें- Border Dispute: महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद का जानें इतिहास, केंद्र का क्या रहा है रुख, सुप्रीम कोर्ट में कब पहुंचा मामला