What Happened With Atiq Ahmed In Court: अतीक का काफिला नैनी जेल से मंगलवार (28 मार्च) दिन में तकरीबन 11:30 बजे के आसपास निकला. यहां से वो प्रयागराज के एमपी एमएलए कोर्ट में पहुंचा. कोर्ट के आदेश के हिसाब से सोमवार (27 मार्च) देर शाम अतीक अहमद प्रयागराज की नैनी जेल में पहुंचा था.


कोर्ट में पुलिस की गाड़ी से उतरने के बाद उसने जब कोर्ट परिसर में कदम रखा तो हर कदम के साथ उसे वकीलों की गाली का सामना करना पड़ा. ये वकील अपने साथी उमेश पाल की हत्या से बेहद आक्रोशित थे. अतीक ने अपनी गाड़ी से उतरकर पहले माले में मौजूद एमपी एमएलए कोर्ट तक जाने में जितने कदम नहीं लिए होंगे उन कदमों की तुलना में कई गुना ज्यादा गालियां सुनी होंगी.


बचते-बचाते पहुंचा पहले माले पर


अतीक जब ग्राउंड फ्लोर से होता हुआ है सीढ़ी से फर्स्ट फ्लोर पर मौजूद एमपी एमएलए कोर्ट के लिए बड़ा तो सीढ़ी पर वकीलों की भीड़ थी. पुलिस कैसे भी वकीलों का मना कर के अतीक को आगे बढ़ा रही थी. ये वकील अतीक के ऊपर हमला करने की तैयारी से थे.


किसी तरह से बचते- बचाते पुलिस जब अतीक को लेकर पहले माले पर पहुंची तो वकीलों ने नारेबाजी और गाली देते हुए उस ऊपर हमला करने की कोशिश की थी. बड़ी मुश्किल से बचाकर पुलिस अतीक को लेकर कोर्ट रूम में पहुंची. वहां उससे पहले ही उसका भाई अशरफ और इस मामले के दूसरे आरोपी मौजूद थे. कोर्ट रूम में वकील भी मौजूद थे और दोनों ही पक्ष के वकील वहां पहुंचे हुए थे.


हल्का सा मुस्कुराए थे दोनों


जब अतीक कोर्ट में पहुंचा तो अशरफ अतीक से उसका सामना. दोनों एक दूसरे की तरफ देख कर हल्का सा मुस्कुराए, लेकिन दोनों की बॉडी लैंग्वेज में हताशा दिखाई दे रही थी. अतीक को अंदाजा था कि आज उसके कर्मो की सजा उसे मिलने वाली है. मुंह झुकाए बहुत उदास होकर वो बैठ गया. इस दौरान अतीक के वकील, सरकारी वकील और उमेश पाल के वकील अपने कागज दुरुस्त करने लगे.


जब जज साहब ने सुनाया फैसला


इस मामले में जज ने सबसे पहले आने के बाद अपना फैसला सुनाया. उन्होंने अतीक, दिनेश पासी  के एडवोकेट खान को सश्रम आजीवन कारावास की सजा और रुपए 1 लाख का जुर्माना वादी के परिवार को क्षतिपूर्ति के तौर पर देने का आदेश दिया. इसके अलावा अन्य 7 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया.


जज के फैसला सुनाए जाने के बाद अतीक कोर्ट में बेहद शांत और मायूस खड़ा था. फैसला सुनकर उसकी आंखों में आंसू आ गए. जज के फैसला सुनाए जाने के बाद दोनों पक्ष इस बात को लेकर बहस करने लगे की सजा क्या मिलनी चाहिए? आधे घंटे तक बहस चली और इसके बाद आदेश लिखवाने के लिए चले गए. जब जज वापस आए तो 15 मिनट में ऑर्डर सुनाया गया.  पहले से ही हताश अतीक चुपचाप सब सुनता रहा. 


अतीक को दीं भद्दी- भद्दी गालियां 


इस घटनाक्रम में तकरीबन 3 घंटे से ऊपर का समय गुजर चुका था. आक्रोश बेहद ज्यादा था बाहर वकीलों की भीड़ बढ़ती जा रही थी. अतीक के परिवार और अतीक को लेकर भद्दी-भद्दी गालियां देकर वकील चिल्ला रहे थे. पुलिस की वर्दी और वकीलों के संग हुए अतीक के कांड को लेकर नारेबाजी हो रही थी.


उमेश पाल जिंदाबाद और अतीक मुर्दाबाद के नारे लग रहे थे. वहीं वकील पुलिस के संग लगातार धक्का-मुक्की कर रहे थे. पुलिस वाले हाथ जोड़कर वकीलों को संभालने की कोशिश कर रहे थे. दरअसल अतीक ने जज से अपील की थी कि उनकी जान को यहां खतरा है. न्यायालय के कंधे पर प्रशासन बंदूक रखकर उसकी हत्या कराना चाहता है. 


वकील जब मारने झपटे


वो न्यायालय के आदेश पर साबरमती से इलाहाबाद यानी प्रयागराज लाया गया. उसने कोर्ट से अपील की उसे आदेश देकर वापस भेजा जाए. कोर्ट ने इस पर कहा कि आपको यहां लाया गया और आपको वापस भेजा जाएगा, लेकिन कब भेजा जाएगा ऐसी कोई बात नहीं हुई. हालांकि कोर्ट ने उसे कहा कि उसे भेजा जाएगा.


तकरीबन 3:30 बजे के आसपास पहले अशरफ बाहर आया. अशरफ जैसे ही बाहर निकला वकील उसे चिल्ला कर गालियां देने लगे. जब वो सीढ़ी के पास पहुंचा तो वकील अशरफ को मारने के लिए झपटे. इस धक्का-मुक्की के बीच पुलिस किसी भी तरह से बचाकर उसे बाहर लेकर गई.


इसके बाद अतीक बाहर आया. उसके बाहर आने के बाद वकीलों के सब्र का पारा टूट गया. वकील धक्का-मुक्की करने लगे और अशरफ के साथ ही अतीक को भी गालियां देने लगे. उसके सीढ़ी की तरफ बढ़ते ही वकीलों की भीड़ उस तरफ अतीक को मारने के लिए दौड़ी. बड़ी मुश्किल से उसे वहां से निकाल पाई.


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