असम सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले किसी भी संभावित 'सांप्रदायिक संघर्ष' से बचने के लिए दो अलग-अलग समुदायों के बीच जमीन की बिक्री पर तीन महीने के लिए रोक लगा दी है.


राजस्व और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने एक अधिसूचना जारी करके दावा किया कि खुफिया एजेंसियों ने सरकार को कुछ स्थानों पर फर्जी तरीके से भूमि हस्तांतरण के प्रयास के कई मामलों की जानकारी दी है.


इसमें कहा गया है कि जानकारी के अनुसार, 'कुछ धार्मिक समुदायों को कुछ अन्य धार्मिक समुदायों को भूमि हस्तांतरित करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.'


राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव ज्ञानेंद्र देव त्रिपाठी द्वारा हस्ताक्षरित अधिसूचना में कहा गया है, '...निहित स्वार्थ के चलते सांप्रदायिक आधार पर संघर्ष पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है, खासकर आगामी लोकसभा चुनावों से पहले.’’


इसमें कहा गया है कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने निर्देश दिया है कि भूमि की बिक्री के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देने के सभी मामले, जहां खरीदार और विक्रेता अलग-अलग धर्मों के हैं, को अधिसूचना जारी करने की तारीख से तीन महीने की अवधि के लिए स्थगित रखा जाएगा.’’


त्रिपाठी ने कहा, ‘‘हालांकि, यदि जिला आयुक्त का विचार है कि ऐसी एनओसी प्रदान करना परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बिल्कुल आवश्यक है और इससे कानून और व्यवस्था का कोई उल्लंघन नहीं होगा, तो इसे पंजीकरण महानिरीक्षक, असम की पूर्व सहमति से जारी किया जा सकता है.'


असम की 14 लोकसभा सीट के लिए 19, 26 अप्रैल और 7 मई को तीन चरणों में 28,645 मतदान केंद्रों पर मतदान होगा, जबकि देशभर में पूरे सात चरणों का मतदान पूरा होने के बाद मतों की गिनती 4 जून को होगी.


भाषा अमित रंजन


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