Assam Flood Affects People Life: असम में बाढ़ का (Flood In Assam) खतरा तो कम हुआ है लेकिन बाढ़ अपने पीछे बड़ी तबाही छोड़ गई है. हर साल असम बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर होता है. असम के कई इलाकों को जब बाढ़ ने अपनी चपेट में ले रखा था और गांव के गांव पानी में डूबे हुए थे तब वहां के लोगों के लिए एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने के लिए सबसे बड़ी संसाधन बनी थी-नाव. नाव (Boat)की अहमियत असम के हर घर में है. यहां के हर घर में एक छोटी नाव तो होती ही है, किसी-किसी घर में बड़ी नाव भी देखने को मिलती है.


असम (Assam) में जिन लोगों का मछली पकड़ने का काम है उनके पास बड़ी नाव होती है और यही वजह है कि यहां के लोगों को नाव बनाने की कला आती . बाढ़ के समय आजीविका की भी साधन बनती है नाव. हालांकि पूरे साल सिर्फ नाव बनाकर आजीविका नहीं चलाई जा सकती हैं. क्योंकि एक नाव कई साल चलती है और इसको लोग रोज-रोज नहीं खरीदते हैं. बाढ़ के सीजन में 2- 3 कारीगर मिलकर एक बड़ी नाव तैयार करते हैं. जिससे बाढ़ के पूरे सीजन में उस मेहनत से मिले पैसों से वह अपना गुजारा चलाते हैं.


ग्रामीण इलाकों में बाढ़ से होती है बड़ी तबाही


एक बड़ी नाव को तैयार करने में तीन-चार लोगों की जरूरत होती है. जोनई के बड़ासीपारा गांव के लोगों ने बताया कि नाव यहां के लोगों का पेशा नहीं है,  बाढ़ के महीने में जब जरूरत होती है तब हम नाव भी बना लेते हैं और जब बाढ़ बहुत ज्यादा होती है और यह काम भी बंद हो जाता है तब हम किसी तरह मजदूरी करके घर चलाते हैं. जब पानी कुछ सूख जाता है तब हम खेत में काम करते हैं. ऐसे में पता चलता है किअसम के लोग एक काम में नहीं है बल्कि अपना घर चलाने के लिए मौसम के हिसाब से अलग-अलग काम करके अपना गुजारा करते हैं.


माजुली इलाके में हर साल बाढ़ से लोगों को बहुत समस्या होती है और बहुत नुकसान यहां के लोग झेलते हैं. माजुली के कुछ घरों में नाव ही बाढ़ के समय जीविका का साधन होती है. लोगों ने बताया कि बाढ़ के दिनों में नाव की डिमांड ज्यादा बढ़ जाती है इसलिए बरसात के मौसम में नाव बनाते हैं इसको बनाने में कई दिन लगते हैं और बहुत मेहनत का काम है.


हर साल बाढ़ से लाखों लोगों की जिंदगी होती है प्रभावित


हर साल बाढ़ से असम में लाखों लोगों की जिंदगी पर असर पड़ता है. कई सौ लोग बेघर हो जाते हैं और कई लोगों की जान चली जाती है. हर साल आने वाली बाढ़ से इरोजन की समस्या भी असम में बढ़ती जा रही है. बरसात के मौसम में लोगों का काम पूरी तरह ठप हो जाता है और घर चलाने और पेट भरने के लिए लोग जैसे-तैसे गुजर-बसर करते हैं. कहीं नाव पर सवार तो कहीं कई किलोमीटर पैदल चलकर किसी न किसी तरह कुछ काम ढूंढते हैं ताकि वह अपना गुजारा कर सकें. बाढ़ के बाद असम के लोगों की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है लेकिन अब तक इसको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे इस तबाही को किसी तरह कम किया जा सके.


ये भी पढ़ें:


RCP सिंह के इस्तीफे के बाद JDU ने बुलाई सांसदों की बैठक, नीति आयोग की मीटिंग में शामिल नहीं होंगे नीतीश कुमार


ISIS Module Terrorist: यूपी-कर्नाटक से जुड़े दिल्ली से गिरफ्तार ISIS के कथित आतंकवादी के तार, खुलेंगे कई राज