Aam Aadmi Party: देश के सबसे बड़े लोकतंत्र में आजादी के पहले से कायम राजनीतिक पार्टी को भी मुंह चिढ़ा रही आम आदमी पार्टी (AAP) एक दशक में ही राष्ट्रीय स्तर पर छा गई है. भले ही अभी केवल दो राज्यों (दिल्ली और पंजाब) में आम आदमी पार्टी की सरकार है, राज्यसभा में केवल आठ सांसद हैं और लोकसभा में इसका कोई प्रतिनिधित्व न है. इसके बाद भी देश में पार्टी को पहचान मिली है तो ये अपने आप में यूनिक है.

दिल्ली में राजेंद्र नगर सीट उपचुनाव पर जीत के बाद आम आदमी पार्टी की राजनीतिक महत्वकांक्षा को और पंख लग गए. ये पार्टी पूरे देश में अपने पैर पसारने के लिए काम कर रही है. इस वक्त AAP का फोकस गुजरात और हिमाचल पर है. यहां जानिए इस पार्टी के धीरे-धीरे देश के राष्ट्रीय राजनीतिक पटल पर अपनी पहचान बनाने की कहानी..  राजेन्द्र नगर सीट पर आप का जलवा

देश में NDA की सरकार है लेकिन इसके बावजूद राजधानी में राजेन्द्र नगर सीट पर हुए उपचुनाव में आप के उम्मीदवार दुर्गेश पाठक (Durgesh Pathak) ने बीजेपी के राजेश भाटिया (Rajesh Bhatia) को 11500 वोट से हरा दिया. इस जीत के आप के लिए बहुत मायने हैं, इस साफ होता है कि अरविंद केजरीवाल अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे तो, वहीं कांग्रेस और बीजेपी के लिए ये अपनी रणनीति पर सोचने का वक्त है.

दिल्ली मॉडल पर देश में छा जाने का प्लान

एक दशक में देश में अपनी पहचान बनाना आसान नहीं होता, लेकिन AAP ने यह कर दिखाया है. दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाई तो अब पूरे देश में अपना वर्चस्व कायम करने के लिए वह दिल्ली मॉडल को आधार बना रही है. इस वक्त उसका फोकस गुजरात और हिमाचल पर है. उसके तेवरों को देख तो यही लग रहा है कि वहां आप के आने में देर नहीं है. पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल इन दोनों राज्यों के विधान सभा चुनावों पर नजर गड़ाए बैठे हैं. इससे उन्होंने साबित कर दिया है कि बीजेपी और कांग्रेस दिल्ली में उन्हें मात देने के खेल में अभी पीछे ही हैं. 

नाराजगी के बाद भी आप पर भरोसा

राजेन्द्र नगर की जीत ने बता दिया है कि दिल्ली के लोग कुछ मुद्दों जैसे पानी और फ्री शराब पर केजरीवाल सरकार से भले ही राब्ता नहीं रखते हैं, लेकिन उनका विश्वास उनसे हटा नहीं है. सीएम केजरीवाल ने लोगों को भरोसा दिलाया है कि जल्द ही वह पानी की समस्या से भी निजात दिलाने में सफल होंगे.

कमल को मुरझाने का डर तो हाथ को कट जाने का डर

दिल्ली के उपचुनाव में हार ने बीजेपी के सामने एक बात साफ कर दी है कि केवल 40 फीसदी वोट और जीत की ये दूरी उन्हें पाटने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी. इसके लिए बीजेपी को दिल्ली में सीएम केजरीवाल की टक्कर का आदमी खड़ा करना होगा. उधर राजेन्द्र नगर उपचुनाव ने कांग्रेस के लिए भी एक संदेश साफ गया है कि तीन फीसदी वोटों से 15 साल दिल्ली पर काबिज रहने वाली कांग्रेस के लिए अब राह इतनी आसान नहीं है. कांग्रेस की उम्मीदवार प्रेम लता को इन चुनावों में केवल 2014 वोट ही मिले थे.

आप की दमदार जीत हुई पंजाब में

इस साल मार्च में ही आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने पंजाब (Punjab) विधानसभा चुनावों में जीत कर सरकार बनाई है. पंजाब में जीतने के बाद देश में दो राज्यों में इसकी सरकार हो गई है. AAP के राज्यसभा में सात सांसद हैं, लेकिन भगवंत मान के पंजाब का सीएम होने के बाद लोकसभा में कोई सांसद नहीं बचा है. भगवंत मान पंजाब के संगरूर लोकसभा से सांसद थे. सात सालों से दिल्ली की सत्ता पर काबिज आप एक अनोखी पार्टी है, जिसका लोकसभा में एक भी सांसद नहीं है, लेकिन राज्यसभा में आठ सांसद ये संजय सिंह, एनडी गुप्ता, सुशील गुप्ता, हरभजन सिंह, राघव चड्ढा, डॉ. संदीप पाठक, अशोक कुमार मित्तल, संजीव अरोड़ा हैं. 

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