भारतीय सैन्य सेवाओं में भर्ती प्रक्रिया के लिए लाई गई अग्निपथ योजना को लेकर सेना एक सर्वे करा रही है. सर्वे में सैन्य अधिकारियों, ट्रेनिंग स्टाफ और भर्ती प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों से कुछ सवाल पूछे जा रहे हैं. सर्वे के जरिए सेना भर्ती प्रक्रिया पर योजना के असर के बारे में जानना चाहती है. हालांकि, सर्वे क्यों करवाया जा रहा है, इसे लेकर न तो सेना और न ही सरकार की तरफ से आधिकारिक तौर पर कुछ कहा गया है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि सर्वे से मिली जानकारी को अगली सरकार के सामने पेश कर स्कीम में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं.


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे के तहत अग्निवीरों, ट्रेनिंग स्टाफ, रेजीमेंट सेंटर्स और अग्नीविरों को ऑपरेट करने वाली यूनिट और सब-यूनिट के कमांडर्स से कुछ सवाल कर स्कीम के प्रभावों के बारे में जानने की कोशिश की जा रही है.


अधिकारियों ने बताया कि मुख्यरूप से 10 तरह के सवाल सर्वे में पूछे जा रहे हैं. जैसे रिक्रूटर्स को यह बताना होगा कि आवेदकों ने अग्रनिवीर बनने के लिए मुख्य कारण क्या बताया है और वह आर्मी में शामिल होने के लिए कितने उत्साहित हैं. इसके अलावा, अधिकारियों को बताना होगा कि ऑनलाइन एंट्रेंस एग्जाम के लिए ग्रामीण और शहरी इलाकों के आवेदक कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. साथ ही, यह भी अधिकारियों से पूछा जाएगा कि योजना लागू होने के बाद भर्ती प्रक्रिया पर क्या असर पड़ा है.


रिपोर्ट के अनुसार सर्वे में यूनिट और सब-यूनिट कमांडर्स से अग्निवीर और योजना से पहले भर्ती हुए जवानों को लेकर भी फीडबैक लिया जाएगा. जैसे क्या उनके बीच कोई कॉम्पटीशन जैसा माहौल है या कमांडर्स ने अग्नवीरों की किन सकारात्मर और नकारात्मक चीजों को देखा है.


साल 2022 में अग्निपथ योजना लाई गई थी, जिसके तहत इंडियन आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के लिए जवानों की भर्ती की जाती है. अग्निपथ योजना के जरिए सेना में शामिल हुए जवानों को अग्निवीर कहते हैं, जो चार साल तक सेना में सेवा देंगे. चार साल बाद उनको रिटायरमेंट दे दिया जाएगा. हालांकि, इनमें से 25 फीसदी अपनी इच्छा से सेवा देने के लिए अप्लाई कर सकते हैं. योजना को लागू किए जाने के समय से ही यह चर्चा में है. अग्निपथ योजना को लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार के युवाओं ने बहुत विरोध जताया था. इसे लेकर भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे.


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