Suggestion On Uniform Civil Code: मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए आवाज बुलंद करने वाली भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन नाम की संस्था ने यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को लेकर लॉ कमीशन को सुझाव भेजा है. संस्था ने कमीशन को 25 सुझाव भेजे हैं. इनमें मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की बात की गई है, जिसमें शादी, तलाक, अडॉप्शन और कस्टडी के साथ-साथ मेंटेनेंस और विरासत जैसे मुद्दों को उठाया गया है.


गौरतलब है कि भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन वही संस्था है, जो पिछले 20 सालों से ट्रिपल तलाक के खिलाफ आवाज उठा रही थी. संस्था ने यूनिफार्म सिविल कोड में शादी को लेकर 14 सुझाव दिए हैं. 


क्या हैं सुझाव?
1) दुल्हन की मर्जी के बिना निकाह को पूरा नहीं माना जा सकता. 
2) निकाह को दो अडल्ट के बीच एक करार माना जाना चाहिए ना कि एक संस्कार.
3) सभी मुस्लिम निकाह रजिस्टर होने चाहिए. 
4) निकाहनामा को लाजमी दस्तावेज बनाना चाहिए. 
5) निकाह के समय दुल्हन को मिलने वाली मेहर की रकम निकाह के वक्त ही मिलनी चाहिए.
6) काजी का पंजीकरण लाजमी होना चाहिए और केवल रजिस्टर काजी ही विवाह संपन्न कर सकता है.
7)  काजियों को पंजीकृत करने में महिला काजियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
8) काजी की जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से तय की जानी चाहिए. 
9) निकाह के तरीकों को स्पष्ट रूप से तय किया जाना चाहिए.
10) निकाह के गवाहों को उम्र और पता के दस्तावेज देना जरूरी हो.
11) अनियमित विवाहों के नियमन के लिए प्रावधान होना चाहिए.
12) आईपीसी 494 के तहत मुस्लिम समाज में बहु विवाह को अवैध बना देना चाहिए.
13) पीसीएमए 2006 के प्रावधान के लागू होने से मुस्लिम समाज में बाल विवाह को अवैध बना देना चाहिए.
14) हलाला, मिस्यार और मुता विवाह को अवैध घोषित किया जाना चाहिए.


भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन द्वारा यूनिफार्म सिविल कोड में तलाक को लेकर भी 5 सुझाव दिए गए हैं. 
1) महिलाओं के पक्ष में तलाक के तरीकों में फस्ख/खुला/मुबारा को शामिल किया जाना चाहिए.
2) तलाक- ए- अहसन महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए तलाक का तरीका होना चाहिए.
3) अदालत में और अदालत के बाहर तलाक को नियमित किया जाना चाहिए.
4) किसी विवाहित मुस्लिम महिला या पुरुष द्वारा इस्लाम का त्याग या उनके अन्य धर्म में परिवर्तन होने पर उसके निकाह को समाप्त नहीं करने का प्रावधान हो.
5) इद्दत के दौरान महिला पर शादी के अलावा कोई और रोक-टोक लागू नहीं की जाए. वह परिवार के अंदर और सार्वजनिक स्थान पर अपने सभी कामकाज पूरी आजादी से कर सकेगे.


यूसीसी में अडॉप्शन और कस्टडी को लेकर सुझाव  
1- मुस्लिम महिला अपने बच्चों की स्वाभाविक संरक्षक हो, चाहे वह तलाकशुदा हो या विधवा और कस्टडी से जुड़े सभी मुद्दों पर बच्चों का फायदा और बच्चे की मर्जी पर होना चाहिए.
2- माता-पिता के धर्म परिवर्तन या पुनर्विवाह पर बच्चों की कस्टडी पर कोई असर नहीं होना चाहिए. 
3- जेजे कानून के तहत बच्चे गोद लेने की अनुमति दी जानी चाहिए.


मैनटेनेंस और विरासत को लेकर सुझाव  
1- विवाह के भीतर भरण पोषण सीआरपीसी 125/ 126 द्वारा होना चाहिए.
2- वैवाहिक संपत्ति में हिस्सेदारी के साथ विरासत के अधिकारों में बराबरी होनी चाहिए.
3- पारिवारिक कानून के अंतर्गत आने वाले सभी मामलों की कार्यवाही को पूरा करने के लिए काज़ी या मध्यस्थ को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होना चाहिए.


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