पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के लिए सोमवार को गांधी परिवार को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि उनके मुख्यमंत्री पद से हटने से पहले पार्टी की स्थिति पंजाब में ‘‘बेहतर’’ थी. कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा पांच राज्यों में पार्टी की हुई हार की समीक्षा करने के एक दिन बाद सिंह ने अपने बयान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और ‘‘भ्रष्ट’’ चरणजीत सिंह चन्नी पर कटाक्ष किया. सिंह की जगह चन्नी पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे.


पिछले साल मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी और अपनी पार्टी ‘पंजाब लोक कांग्रेस’ बनाई. सिंह ने पंजाब में कांग्रेस की हार का दोष उन पर डालने की कोशिश करने के लिए सीडब्ल्यूसी की आलोचना की और कहा कि बेहतर होगा वे दोष मढ़ने के बजाय ‘‘अपनी गलतियों’’ को ‘‘स्वीकार’’ करें.


उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस न केवल पंजाब में बल्कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी हार गई है और पार्टी की शर्मनाक हार के लिए गांधी परिवार पूरी तरह से जिम्मेदार हैं.’’ उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘देश भर में लोगों का गांधी परिवार के नेतृत्व पर से विश्वास उठ चुका है.’’


पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ ने भी सोमवार को चुनाव से पहले पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में चन्नी की नियुक्ति पर सवाल उठाया और पार्टी के एक वरिष्ठ नेता द्वारा चन्नी को कथित तौर पर ‘‘उपयोगी नेता (एसेट)’’ के रूप में वर्णित करने के लिए उनका उपहास उड़ाया.


हाल में सम्पन्न हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 18 सीट पर जीत मिली और आम आदमी पार्टी (आप) ने 117 सदस्यीय विधानसभा में 92 सीट हासिल कीं.


अमरिंदर सिंह ने दावा किया कि पार्टी के भीतर कई वरिष्ठ नेता पंजाब कांग्रेस में अंदरूनी कलह और राज्य में खराब प्रदर्शन के लिए नवजोत सिद्धू के ‘‘पार्टी विरोधी’’ बयानों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी ने सीमावर्ती राज्य में उसी दिन अपनी कब्र खोद ली थी, जब उसने नवजोत सिद्धू जैसे अस्थिर और आडंबरपूर्ण व्यक्ति का समर्थन किया और चुनाव से कुछ महीने पहले चरणजीत सिंह चन्नी जैसे भ्रष्ट व्यक्ति को मुख्यमंत्री के रूप में नामित करने का फैसला किया.’’


सिंह ने कहा कि सीडब्ल्यूसी के जो नेता यह दावा कर रहे हैं कि उनकी सरकार के खिलाफ मजबूत ‘‘सत्ता विरोधी लहर’’ थी, वे इस बात को आसानी से भूल गए कि उन्होंने (सिंह ने) 2017 के बाद से पार्टी के लिए हर चुनाव जीता था, जिसमें फरवरी 2021 में नगर निकायों के चुनाव भी शामिल थे.


उन्होंने कहा, ‘‘ये नेता सिर्फ चापलूस हैं, जो दूसरों पर दोष मढ़कर परिवार को बचाने की कोशिश कर रहे हैं और दीवार पर लिखी इबारत को लेकर आंखें बंद कर रहे हैं.’’ उन्होंने दावा किया कि मौजूदा व्यवस्था में कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है.


सिंह ने कहा कि पंजाब में हार का असली कारण यह है कि पहले पार्टी आलाकमान पक्ष में रहा और फिर नवजोत सिद्धू जैसे लोगों पर लगाम लगाने में विफल रहा, जो अपने निजी लाभ के लिए पार्टी की छवि खराब करने में लिप्त थे. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बदनाम करने के प्रयासों में पार्टी आलाकमान ने नवजोत और अन्य लोगों के साथ हाथ मिलाया और इस प्रक्रिया में पार्टी को पूरी तरह से बदनाम कर दिया.’’


सिंह ने कहा, हालांकि वह सीडब्ल्यूसी या कांग्रेस को कोई स्पष्टीकरण नहीं देना चाहते हैं. उन्होंने इन नेताओं की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देने का चयन सिर्फ इसलिए किया क्योंकि वह पंजाब के लोगों को अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहते है, जिनके प्रति वह खुद को अब भी जवाबदेह महसूस करते हैं.


अमरिंदर सिंह को उनके और नवजोत सिद्धू के बीच टकराव के बाद पिछले साल सितंबर में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. राज्य में 2022 के विधानसभा चुनाव में सिंह की नयी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी.


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