Mohammad Zubair Arrest: ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Alt News co-founder Mohammad Zubair) को दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन और स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस यूनिट (Intelligence Fusion and Strategic Operations Unit-IFSO ) ने गिरफ्तार किया है. उनके खिलाफ आरोप है कि उनके ट्वीट से धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. इसी के तहत 20 जून 2022 को आईएफएसओ (IFSO) यूनिट ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की. इसके बाद उन्हें  27 जून को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस की इस गिरफ्तारी पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन पुलिस भी अपना पक्ष भी मजबूत तरीके से रख रही है. 


क्या कहते हैं आईएफएसओ डीसीपी


आईएफएसओ यूनिट के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा (K.P.S. Malhotra) का कहना है कि 20 जून 2022 को पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी, क्योंकि सोशल मीडिया के माध्यम से हमें टैग करते हुए शिकायत की गई थी कि ज़ुबैर ने अपने ट्वीट से धार्मिक भावनाएं भड़काई है. हमनें जांच के आधार पर एफआईआर दर्ज की. ज़ुबैर को पूछताछ के लिए बुलाया गया, लेकिन उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया और न ही वो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस उपलब्ध करवाई, जिससे ट्वीट किया गया था. इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया.


पुलिस पर आरोप


गौरतलब है कि पुलिस पर आरोप लग रहा है कि मोहम्मद जुबैर को जबरन गिरफ्तार किया है. उन्हें किसी अन्य मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन इस मामले में गिरफ्तार कर लिया. इस पर डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने पुलिस पर लगे आरोपों पर कहा कि मोहम्मद जुबैर को जबरन गिरफ्तार नहीं किया गया है. उसके खिलाफ जो एविडेंस सामने आए उन्हीं के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया है.


उनका कहना है कि जो लोग ये आरोप लगा रहे हैं कि ज़ुबैर को जबरन गिरफ्तार किया गया है तो उनकी जानकारी के लिए हम ये बताना चाहेंगे कि उनके खिलाफ 2020 में भी एक एफआईआर दर्ज की गई थी. उसकी जांच में जो भी तथ्य सामने आए वही तथ्य कोर्ट में रखे गए.


ड्यूटी मजिस्ट्रेट को दी गई सारी जानकारी


पुलिस के मुताबिक ये मामला जो 20 जून 2022 को दर्ज किया गया है, इसकी जांच में जो तथ्य सामने आए हैं उसी के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई की है और ये सारी जानकारी भी कल यानी 27 जून को जो ड्यूटी मजिस्ट्रेट थे, उनके सामने रखी गई. तभी हमें एक दिन की पुलिस कस्टडी भी मिली. ये कार्रवाई तथ्य और सबूतों के आधार पर की गई है न कि व्यक्ति विशेष को ध्यान में रखते हुए.


इसके अलावा दोनों मामलों के आईओ अलग हैं. एक आईओ ने पहले नोटिस देकर बुलाया था, दूसरे मामले जिसमें गिरफ्तारी की गई है के आईओ ने 27 जून को ही मोहम्मद जुबैर को नोटिस दिया था. उसी के आधार पर पूछताछ की गई. संतोषजनक जवाब न मिलने पर और सहयोग न मिलने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इसलिए ये आरोप ही गलत है कि किसी अन्य मामले में नोटिस दिया और दूसरे में गिरफ्तार किया.


2018 में किए गए इस ट्वीट पर मामला बनता है


ऑल्ट के को-फाउंडर जुबैर के 2018 में किए गए ट्वीट में दिख रही फोटो 1983 की एक बॉलीवुड मूवी के सीन से ली गयी है. पुलिस पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि शिकायत कर्ता ने सीधे पुलिस से संपर्क नहीं किया था. इस पर पुलिस का कहना है कि ये ट्वीट बेशक 2018 में किया गया था, लेकिन इसकी शिकायत हमें 19 जून को ट्विटर के माध्यम से मिली थी. इसमें हमें टैग किया गया था. मामला बनता था इसलिए इस पर एफआईआर दर्ज की गई. जिस व्यक्ति ने अपने ट्विटर हैंडल से हमें यह शिकायत की थी,अगर जरूरत होगी तो हम उसे बुलाएंगे. फिलहाल जांच के आधार पर ये कार्रवाई की गई है.


नूपुर शर्मा पर भी दी सफाई


पुलिस पर ये भी आरोप लग रहे हैं कि नूपुर शर्मा पर भी एफआईआर (FIR) दर्ज है, लेकिन न तो उनसे पूछताछ की जा रही है और न ही  उनकी गिरफ्तारी की जा रही है. इस पर पुलिस की तरफ से कहा गया है कि नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) के मामले में भी जांच जारी है और जांच में जिस तरह के एविडेंस सामने आएंगे. उसी आधार पर फिर उचित कार्रवाई की जाएगी. पुलिस जांच कर रही है.


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