Operation Lotus: दल बदल, विधायकों की खरीद फरोख्त, विधायकों का पाला बदलना...ये शब्द आपने कुछ दिनों में ज्यादा ही सुने होंगे. बीजेपी पर विपक्षी पार्टियों ने ये सभी आरोप हाल ही के दिनों में लगाए हैं. ताजा मामलों को अगर देखें तो महाराष्ट्र में जो हुआ उसके बाद अब गोवा में कांग्रेस के विधायकों का बीजेपी में शामिल होना. महाराष्ट्र में शिवसेना के दो फाड़ हुए और एकनाथ शिंदे ने उद्धव का साथ छोड़ बीजेपी से हाथ मिला लिया. आज मुख्यमंत्री बने हुए हैं.


इसके बाद, दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर आम आदमी पार्टी के विधायकों को खरीदने का आरोप लगाया. फिर वो पंजाब के लिए भी ऐसा ही कहते हुए नजर आए. दरअसल सत्ता एक ऐसी चीज है जो कोई भी अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहता है. इसे बचाने के लिए साम, दाम दंड भेद इन सभी को आजमाया जाता है. बीजेपी पर तो केजरीवाल ने दाम और दंड दोनों के ही आरोप लगाए हैं. उन्होंने आम आदमी पार्टी के विधायकों को खरीदने और खरीद नहीं पाए तो सीबीआई और ईडी को उनके पीछे लगाने के आरोप लगाए.


एडीआर की एक रिसर्च के मुताबिक, 2016 से 2020 के बीच जितने भी विधायकों ने अपना दल बदला है उनमें से 45 प्रतिशत विधायक बीजेपी में शामिल हुए हैं. जितने विधायकों ने दल बदला है उनमें सबसे ज्यादा कांग्रेस के विधायक रहे हैं, लगभग 45 प्रतिशत. तो आइए जानते हैं बीते चंद महीनों में कहां-कहां बीजेपी पर विधायकों को खरीदने या फिर अपने पाले में शामिल करने के आरोप लगे हैं औऱ उन आरोपों में कितना दम है...


अच्छा एक बात है... जहां-जहां भी बीजेपी पर ऑपरेशन लोटस का आरोप लगा है, उसमें सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस का हुआ है. कहीं-कहीं तो कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ हो गया. ताजा उदाहरण गोवा का ही ले लीजिए. यहां पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत समेत कांग्रेस 8 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. कांग्रेस विधायकों के टूटने की खबर दो महीने पहले भी आई थी लेकिन उस समय किसी तरह से कांग्रेस का कुनबा बच गया था.


इधर, आम आदमी पार्टी को भी मुद्दा मिल गया. जोकि पहले से ही बीजेपी पर अपनी पार्टी के विधायकों को खरीदने का आरोप लगा रही थी. आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी ने कहा कि गोवा में ऑपरेशन कमल सफल हुआ. हाल ही के महीनों की अगर बात करें तो महाराष्ट्र, झारखंड, दिल्ली, बिहार, पंजाब और गोवा राज्य ऐसे रहे जहां बीजेपी पर विधायकों को खरीदने या अपने पाले में शामिल करने का आरोप लगा है. सबसे पहले बात करेंगे महाराष्ट्र की.


बीजेपी ने शिवसेना में लगाई सेंध


एकनाश शिंदे शिवसेना के ताकतवर नेता माने जाते थे. उन्होंने उद्धव ठाकरे से बगावत की. उनकी ताकत अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने शिवसेना के ही दो फाड़ कर दिए. एक उद्धव की सेना हो गई तो दूसरी एकनाथ शिंदे की. एकनाथ शिंदे की सेना बीजेपी में शामिल हो गई और वो मुख्यमंत्री बन गए. इसके अलावा बीजेपी ने एनसीपी में भी सेंधमारी की थी जिसमें अजीत पवार को बहलाने की कोशिश की और वो दो दिन के लिए बीजेपी के साथ हो लिए थे लेकिन बाद में उन्होंने क्या समझ के साथ छोड़ दिया.


झारखंड में ऑपरेशन लोटस की भनक


झारखंड में हेमंत सोरेन को भी ऑपरेशन लोटस की डर था, इसीलिए उन्होंने विधायकों को रांची से दूर रखने के निर्देश दिये और बाद में शक्ति परीक्षण किया. ये कवायद उन्होंने बीजेपी के ऑपरेशन लोटस के दूसरे फेज से बचने के लिए की थी. पहला फेज तब नाकाम हो गया था जब कांग्रेस के 3 विधायक 48 लाख कैश के साथ पश्चिम बंगाल के हावड़ा में पकड़े गए थे. इस घटना के बाद से जेएमएम और कांग्रेस दोनों ही अलर्ट मोड पर आ गए थे.


दिल्ली और पंजाब में विधायकों को खरीदने का आरोप


दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर विधायकों को खरीदने का आरोप लगाया था. ये आरोप उसने मनीष सिसोदिया के यहां सीबीआई छापे के बाद लगाया. अरविंद केजीवाल ने कहा कि बीजेपी हमारे विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है और उन्हें करोड़ों रुपयों के ऑफर दे रही है. तो वहीं पंजाब में भी यही आरोप लगाए गए. अरविंद केजरीवाल ने पंजाब से सभी विधायकों को दिल्ली बुलाया है.


बिहार और मणिपुर में नीतीश के गुट में सेंधमारी


बिहार में जब नीतीश कुमार ने आरजेडी से हाथ मिलाया तो जेडीयू को तोड़ने की कोशिश की गई. ऐसा आरोप लगा. उधर, मणिपुर में जेडीयू के 6 विधायकों में से 5 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. नीतीश कुमार ने कहा था कि मणिपुर में उनकी पार्टी सरकार से समर्थन वापस लेगी लेकिन उनकी पार्टी ही बीजेपी में शामिल हो गई. इससे पहले साल 2020 में बीजेपी ने अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के 7 विधायकों में से 6 को अपनी पार्टी में मिला लिया था.


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