All India Muslim Personal Law Board President: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के अध्यक्ष रहे मौलाना राबे हसनी नदवी के निधन के बाद 3 जून को बोर्ड को नया अध्यक्ष मिलने वाला है. इसका फैसला मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर में होने वाली बोर्ड की बैठक में किया जाएगा. अध्यक्ष के साथ-साथ दो उपाध्यक्ष के नामों का भी फैसला किया जाएगा.


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मीटिंग इंदौर में 3 और 4 जून को होनी है, जिसमें ये सारी चीजें तय की जाएगी. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की इस मीटिंग में बोर्ड के सभी सदस्यों को बुलाया गया है. बोर्ड में कुल 251 सदस्य हैं, जिनमें 30 महिलाएं शामिल हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नियम के मुताबिक अगर अध्यक्ष का निधन हो जाता है तो इस स्थिति में तुरंत इलेक्शन कराया जाता है ताकि नए अध्यक्ष को चुना जा सके.


अध्यक्ष का चुनाव आसान नहीं


राबे हसनी नदवी के इंतेकाल के बाद बोर्ड की होने वाली मीटिंग में सबसे बड़ा सवाल है कि कैसे सर्वसम्मति से किसी को अध्यक्ष चुन लिया जाए, क्योंकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की परंपरा रही है कि वो एकमत से ही किसी को अध्यक्ष का चुनते आए हैं, लेकिन चुनाव से पहले गहमागहमी जमकर रहती है और कई बार आपसी लड़ाई मीटिंग हॉल से बाहर भी देखी जाती रही है. यहां चुनौती बड़ी इसलिए है क्योंकि ये जमाअत मुस्लिमों के सभी संप्रदायों के नेतृत्व करने का दावा करती है और बहुत हद तक दुरुस्त भी दिखता है क्योंकि यहां सभी संप्रदायों के नुमाइंदे हैं. लेकिन यह भी सच है कि बोर्ड पर देवबंदी संप्रदाय का बोलबाला है. अध्यक्ष पद के चुनाव में दिक्कत ये रहती है कि जहां खास संप्रदाय के ही अध्यक्ष को चुनने को लेकर दबाव रहता है वहीं इलाके की बुनियाद पर भी रस्साकशी रहती है. 


पिछले महीने हुआ था निधन


मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी का पिछले महीने ही निधन हुआ है. 94 साल के नदवी काफी समय से बीमार चल रहे थे और उन्होंने अपनी आखिरी सांस लखनऊ के नदवा मदरसे में ली. मौलाना राबे हसनी नदवी मुसलमानों के बीच एक मशहूर और मकबूल शख्सियत थे. इस्लामिक विद्वान होने के साथ ही नदवी मुस्लिम समाज से जुड़े मुद्दों की खुलकर चर्चा करते थे और इस्लाम के मुताबिक क्या चीज सही है और क्या गलत है? इस पर भी अपना मत रखते नजर आते थे.


मौलाना राबे हसनी नदवी महिलाओं के अधिकारों को लेकर भी हमेशा से अपनी आवाज उठाते थे. उनका कहना था कि शादियों में दहेज देने के बजाय अपनी बेटियों को प्रॉपर्टी में हिस्सेदार बनाए जाया और मुसलमानों को इन रीति-रिवाजों से बचना चाहिए.


नदवी के निधन के बाद से ही अध्यक्ष का ये पद खाली हो गया जिसके बाद 3 जून को अध्यक्ष के नाम पर फैसला किया जाएगा.


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