त्रिपुरा सरकार ने शेर का नाम 'अकबर' और शेरनी का नाम 'सीता' रखने के मामले में भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अधिकारी प्रवीण एल अग्रवाल को निलंबित कर दिया. त्रिपुरा सरकार ने ये फैसला विश्व हिंदू परिषद (VHP) की ओर से कलकत्ता हाईकोर्ट में की गई एक शिकायत के बाद लिया. VHP ने अपनी शिकायत में कहा था कि ये नाम धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं. 


कलकत्ता हाईकोर्ट ने VHP की याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को शेर और शेरनी के नाम बदलने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट में बंगाल सरकार ने बताया था कि दोनों शेरों त्रिपुरा से आए हैं और इनके नाम साल 2016 और 2018 में त्रिपुरा के एक चिड़ियाघर के अधिकारियों द्वारा रखे गए थे. कोर्ट ने कहा था, इस तरह के नाम रखकर अनावश्यक विवाद क्यों पैदा किया गया? त्रिपुरा की भाजपा सरकार ने पूरे विवाद पर विचार करने के बाद अग्रवाल से स्पष्टीकरण मांगा है.


राम-मुमताज... शेर-शेरनी के पहले भी रखे गए ऐसे नाम


शेर- शेरनी के इस तरह के नाम रखने पर विवाद शायद पहली बार हुआ है. जबकि इससे पहले भी इस तरह के नाम रखे जाते रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 1970 के दशक में गुजरात के जूनागढ़ चिड़ियाघर में शेर का नाम राम और शेरनी का नाम मुमताज रखा गया था. जबकि 1980 में मैसूर चिड़ियाघर में बाघिन राधा और बाघ कृष्ण से शावक पैदा हुए थे, जिन्हें मुमताज और सफदर नाम दिया गया था. इतना ही नहीं 2004 में जूनागढ़ चिड़ियाघर में एक शेरनी का नाम आजादी रखा गया था. 


कलकत्ता हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान सवाल किया था कि क्या जानवरों के नाम देवताओं, पौराणिक हस्तियों, स्वतंत्रता सेनानियों या नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम पर रखना उचित है. कोर्ट ने विवाद रोकने के लिए ऐसे नामों से बचने की सलाह दी थी.


सुनवाई के दौरान जस्टिस सौगत भट्टाचार्य ने कहा था, उनकी अंतरात्मा इस तरह के नाम देने का समर्थन नहीं करती. जस्टिस ने कहा था कि यह सिर्फ सीता के बारे में नहीं है. मैं किसी शेर का नाम अकबर रखने का भी समर्थन नहीं करता. क्या आप किसी शेर का नाम सम्राट अशोक रखेंगे. 


रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के जूनागढ़ चिड़ियाघर में 1991 में एक शेर का नाम अशोक रखा गया था. ओडिशा के नंदनकानन चिड़ियाघर ने भी 1981 और 1994 में दो बाघों का नाम अशोक रखा था. 2000 में, जब छोटे अशोक ने बाघिन तनुजा के साथ एक नर शावक को जन्म दिया, तो उसका नाम शमशेर रखा गया. तनुजा का नाम वैदिक सप्तऋषि में से एक के नाम पर रखा गया था. संयोगवश तनुजा बाघ विश्वामित्र की बेटी थी. बाघ विश्वामित्र के भाई का नाम भी वसिष्ठ रखा गया था. 


पहले भी रखा जा चुका सीता नाम


केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की राष्ट्रीय स्टडबुक (2018 संस्करण) के मुताबिक, सीता और अकबर दोनों नाम भारत भर के चिड़ियाघरों में रखे जाते रहे हैं. 1996 में मुंबई के बायकुला चिड़ियाघर में एक शेरनी का नाम सीता रखा गया. कर्नाटक, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, पंजाब, बिहार, राजस्थान और ओडिशा के 12 चिड़ियाघरों द्वारा कम से कम 13 बाघिनों का नाम सीता रखा गया. इसी तरह 2011 में हैदराबाद चिड़ियाघर में शेर अतुल और शेरनी सोनिया से पैदा हुए एक नर शावक का नाम अकबर रखा गया था. जबकि अकबर की बहन का नाम लक्ष्मी रखा गया था. 1981 में मैसूर चिड़ियाघर ने तीन बाघ शावकों का नाम अमर, अकबर और एंथनी रखा था.