नई दिल्ली: अजमेर दरगाह की खादिम कमेटी ने अजमेर दरगाह विस्फोट मामले में जयपुर की एनआईए की विशेष अदालत के फैसले को राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती देगी. अंजुमन सैयद जडगन के सचिव वाहिद अंगर शाह चिश्ती ने बताया कि खादिमों की कमेटी ने तय किया है कि न्याय के लिये उच्च न्यायालय जायेंगे. मामले में अधिकतर गवाह मुकर गये है और जांच एजेंसी ने कुछ नहीं किया.


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अजमेर दरगाह के खादिम सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि एनआईए की ओर से पेश की गई अन्तिम रिपोर्ट में साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिलने की बात पर अदालत ने सवाल उठाया है. अदालत ने फरार चल रहे आरोपियों संदीप डांगा, सुरेश नायर, रामचंद्र कलसांगरा को गिरफ्तार नहीं करने पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में चुनौती देने के लिये हमारे पास पर्याप्त सबूत है.


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अजमेर विस्फोट मामले में एक विशेष अदालत ने गत 22 मार्च को दो आरोपियों देवेन्द्र गुप्ता और भावेश जोशी को आजीवन करावास की सजा सुनाई थी, जबकि स्वामी असीमानंद सहित 7 लोगों को बरी कर दिया था. मामले में लिप्त एक अन्य आरोपी सुनील जोशी की मध्यप्रदेश के देवास में वर्ष 2007 में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी.


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गौरतलब है कि अजमेर दरगाह में 11 अक्टूबर 2007 में रमजान के दौरान हुए विस्फोट में तीन लोगों की मौत हो गई थी. मामले में साध्वी प्रज्ञा और आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार पर भी संदेह था, लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ सबूत नहीं होने की बात कहते हुए आगे जांच नहीं करने को लेकर क्लोजर रिपोर्ट अदालत में पेश की है.