Import Duty On Oils: खाद्य तेलों की आसमान छूती क़ीमत से मोदी सरकार की चिंता बढ़ती जा रही है. क़ीमत क़ाबू में लाने के लिए सरकार ने कई क़दम तो उठाए हैं लेकिन अभी तक उम्मीद के मुताबिक़ परिणाम नहीं निकल पाया है. चिंता इसलिए भी है क्योंकि त्योहारों के मौसम में खाद्य तेल की महंगाई से लोगों का बजट बिगड़ रहा है और कुछ ही महीनों में उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. अब मोदी सरकार ने क़ीमत पर क़ाबू पाने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों के कंधे पर भी डाल दी है.


खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने देश के 8 राज्यों को पत्र लिखा है. जिन राज्यों को पत्र लिखा गया है उनमें राजस्थान , मध्यप्रदेश , महाराष्ट्र , गुजरात , उत्तरप्रदेश , पश्चिम बंगाल , तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश शामिल हैं. सभी राज्य खाद्य तेल उत्पादन के मामले में देश के अग्रणी राज्य हैं. पत्र में सरकार ने दो दिनों पहले खाद्य तेलों के आयात शुल्क को ख़त्म करने सम्बन्धी फ़ैसले का हवाला दिया है. पत्र में सभी राज्यों को निर्देश दिया गया है कि आयात शुल्क में कमी के अनुपात में खाद्य तेलों की क़ीमत में कमी सुनिश्चित करने के लिए तत्काल और उचित उपाय किए जाएं.


कटौती का फ़ायदा हर उपभोक्ताओं तक पहुंचे


राज्यों से कहा गया है कि देश में इस समय त्योहारों का सीजन चल रहा है जो अगले एक महीने तक चलेगा. ऐसे में आयात शुल्क में कटौती का फ़ायदा हर उपभोक्ता तक भी पहुंचना चाहिए. राज्यों से इस मामले में हर सम्भव सख़्त क़दम उठाने के साथ साथ लगातार निगरानी रखने को भी कहा गया है.


बुधवार को वाणिज्य मंत्रालय ने कच्चे खाद्य तेलों पर लगने वाले आयात शुल्क को 2.5 फ़ीसदी से घटाकर शून्य फ़ीसदी करने का ऐलान किया था. इनमें कच्चा पाम तेल , कच्चा सोयाबीन तेल और कच्चा सूरजमुखी का तेल शामिल है. आयात शुल्क के साथ साथ इन तेलों पर लगने वाले एग्री सेस को भी 20 फ़ीसदी से घटाकर कच्चे पाम तेल पर 7.5 फ़ीसदी और कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर 5 फ़ीसदी कर दिया गया है. सरकार का अनुमान है कि शुल्क घटने से खाद्य तेलों के दाम में 15 - 20 रुपए प्रति किलो की कमी आएगी. तत्काल प्रभाव से इन शुल्कों में लागू की गई कटौती  31 मार्च 2022 तक लागू रहेगी. 


जमाखोरी रोकने के लिए स्टॉक की सीमा फिक्स


पिछले हफ़्ते ही देश में खाद्य तेलों की जमाखोरी रोकने के लिए सरकार ने इनके स्टॉक रखने की सीमा तय कर दी है. इन क़दमों के बावजूद अबतक खाद्य तेलों की क़ीमत कमोबेश पहले की तरह ही ऊंची बनी हुई है. मसलन सरसों तेल की औसत क़ीमत जहां 1 अक्टूबर को 184 रुपए प्रति लीटर थी तो वहीं 13 अक्टूबर को 188 रुपए प्रति किलो थी. हालांकि दिल्ली में खुदरा क़ीमत 200 रुपए प्रति किलो से घटकर 195 रुपए प्रति किलो हो गई है. इसी दौरान पैकेट वाले सूरजमुखी तेल की औसत खुदरा क़ीमत भी 170 रुपए से बढ़कर 180 रुपए प्रति किलो हो गई. वैसे दिल्ली में इसकी क़ीमत में भी 8 रुपए प्रति किलो की गिरावट आई है. ये 187 रुपए से घटकर 179 रुपए प्रति किलो हो गई है.


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