एबीपी आइडियाज ऑफ इंडिया समिट के दूसरे दिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कई मुद्दों पर चर्चा की. इस कार्यक्रम में उन्होंने अपने राज्य की गोधन न्याय योजना के बारे में भी बताया. इस योजना में बघेल सरकार गरीबों से 2 रुपये किलो में गोबर खरीदती है. लेकिन इस योजना का ख्याल कैसे आया इसके बारे में भी सीएम ने बताया. उन्होंने कहा, 'पूरे देश में राजनीति चल रही थी गाय पर. गाय या मवेशी बेचने वालों की सड़कों पर पिटाई होती थी, राजनीति होती थी. आज के दौर में पशुपालन महंगा हो गया है. छुट्टा जानवरों ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है, वे खेतों तक पहुंच गए हैं. सड़कों पर एक्सीडेंट भी हो रहे हैं और फसलें भी बर्बाद हो रही हैं.


इसके बाद हमें ख्याल आया कि इसको अर्थ ये जोड़ना जरूरी है. इसलिए हमने तय किया कि चाहे दूध देने वाले मवेशी हो या फिर न देने वाले, हम गोबर खरीदेंगे. यह भी देखने में आया कि सरकार गोशालाओं को अनुदान तो देती थी लेकिन उसमें चारा देने की व्यवस्था नहीं होती थी.'



आगे मुख्यमंत्री ने कहा, 'इससे गाय गोशालाओं में कमजोर होती गईं और लोग मोटे. हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं, जो खुद पैसे जोड़कर गोशालाएं चलाते हैं, उसी की देखादेखी सरकार ने काम किया. इसलिए हमने तय किया कि अगर गोबर खरीदेंगे तो उससे लोग अर्थ से जुड़ेंगे. गोबर खरीदेंगे तो बिना चारा के तो गोबर मिलेगा नहीं. तो हमने 11000 पंचायतों में गौठान खोले. 10500 पंचायतों में हमने गौठानों की मंजूरी दे दी है. 8 हजार से ज्यादा गौठान हमारे निर्मित हो गए. 6500 गौठान सक्रिय हैं. सक्रिय का मतलब है कि वहां गोबर भी खरीद रहे हैं. उससे दीये, गमला आदि उत्पाद बन रहे हैं. प्राकृतिक पेंट के लिए भी हमने एमओयू किया है. भामा अटॉमिक रिसर्च सेंटर से हमारा एमओयू हुआ है, जिससे हम बिजली भी पैदा करेंगे.'


जब उनसे पूछा गया कि पीएम मोदी ने यूपी चुनाव प्रचार के दौरान आवारा पशुओं और इस योजना का जिक्र किया था क्या भूपेश बघेल इससे खुश हैं या फिर दुखी कि पीएम मोदी ने उन्हें क्रेडिट नहीं दिया?


इस पर छत्तीसगढ़ के सीएम ने कहा कि वह बेहद खुश हैं. आवारा मवेशी पूरे देश के लिए बड़ी समस्या हैं. अगर सड़कों पर एक्सीडेंट होते हैं तो इससे जनधन की हानि होती है. अगर फसल हम नहीं बचा पा रहे हैं तो यह राष्ट्रीय क्षति है. गोबर खरीदने के माध्यम से हम गरीबों को आर्थिक तौर पर फायदा दे रहे हैं बल्कि वर्मी कम्पोस्ट भी बना सकते हैं. 


उन्होंने कहा कि आज रासायनिक खाद मिल कहां रहा है. पिछले साल से यूरिया मिलना कम हो गया है. यूक्रेन-रूस की लड़ाई से भी संकट पैदा हो गया है. पता नहीं ये लड़ाई कहां तक जाएगी. कच्चा माल तो सारा विदेशों से ही आता है. ऐसे में आने वाले समय में पूरे देश में खाद का संकट हो सकता है. ऐसे में अगर रासायनिक खाद नहीं मिलता तो हम वर्मी कम्पोस्ट के माध्यम से फसल बचा सकते हैं. इससे फायदा यह भी होगा कि वर्मी कम्पोस्ट से हम ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ेंगे. 


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