एबीपी न्यूज के आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2022 के दूसरे दिन ऑथर और एकेडमिशियन प्रोफेसर मकरंद आर परांजपे और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सलाहकार रहे सुधींद्र कुलकर्णी ने हिस्सा लिया. इस सेशन का थीम इतिहास की यादों को ताजा करना रखा गया था. जिस पर दोनों ही स्पीकर्स ने अपने विचार रखे. साथ ही मौजूदा राजनीति को लेकर भी कड़ी टिप्पणियां कीं. 


संवाद और समन्वय की राजनीति हुई खत्म - कुलकर्णी 
सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा कि, आज बीजेपी दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं कर रही है. इस दौरान उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय की लिखी गई कुछ लाइनें भी पढ़कर सुनाईं. कुलकर्णी ने कहा कि, आज संवाद और समन्वय की राजनीति खत्म हो गई है. दुर्भाग्यवश जो आज दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर राजनीति कर रहे हैं, वो इतिहास को उजाड़ने का काम कर रहे हैं. जानबूझकर कुछ ऐसे विवाद पैदा किए जा रहे हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि ये सच्चा भारत है, ये नहीं है. ये सच्चे भारतीय हैं ये नहीं हैं. ये सच्चा धर्म है, ये सच्चा भारतीय धर्म नहीं है. भारत ने हमेशा हर संस्कृति, हर धर्म का सम्मान किया है. विभाजन की ये राजनीति पिछले कुछ दिनों में देखने को मिली है. जहां देश का नेता 80 फीसदी और 20 फीसदी की बात करते हैं. वो चुनाव भी जीत जाते हैं और राज्य के मुख्यमंत्री बनाए जाते हैं. 


सुधींद्र कुलकर्णी ने आगे कहा कि, आइडियाज ऑफ इंडिया कई हो सकते हैं, जिन पर चर्चा जरूर होनी चाहिए. लेकिन भारत में 80 और 20 फीसदी वाले फॉर्मूले की कोई जगह नहीं होनी चाहिए और इसे हर तरह से नकार देना चाहिए. ऐसे ध्रुवीकरण करने वाले आइडिया की इंडिया में जरूरत नहीं होनी चाहिए. 



राजनीति में शालीनता जरूरी - प्रो. मकरंद
प्रोफेसर मकरंद ने इस सेशन में कहा कि, भारत में आज हम देख रहे हैं कि इतिहास को लेकर जंग छिड़ी हुई है. इतिहासकारों के अलावा सभी इस पर बात करते हैं. इतिहासकार किसी भी तरह अपनी राय रखकर एक पक्ष के नहीं होना चाहते हैं. आज हमारे पास इतिहास के लिए एक हिंदुत्व स्कूल है. उन्होंने कहा कि, मैंने भी बुलडोजर और 80-20 फॉर्मूले के बारे में सुना, लेकिन अगर राजनीति में किसी भी तरह की शालीनता नहीं रही तो यकीनन हमारा लोकतंत्र खुद ही बड़े खतरे में होगा. 


बांटने की राजनीति से देश होगा कमजोर
इतिहास का जिक्र करते हुए सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा कि, हम सभी लोग, सभी धर्म, सभी दलों के नेता सभी बराबर हैं. ये भारत की ताकत है कि इसमें सभी एक साथ मिलकर रहते हैं. हम ऐसे कैसे कह सकते हैं कि 20 फीसदी लोग भारतीय नहीं हैं या फिर कम भारतीय हैं, ये विभाजनकारी राजनीति खत्म होनी चाहिए. हमें अपना इतिहास जरूर पढ़ना चाहिए. अंग्रेजों ने हम पर राज इसलिए किया, क्योंकि हम एक नहीं थे. आज अगर हम अपने समाज को बांट देंगे तो देश कमजोर हो जाएगा. भारत के सामने कई तरह की चुनौतियां होंगीं. कुलकर्णी ने कहा कि, हिंदुत्व का मैं विरोध नहीं करता हूं. सभी विचारधाराओं को एक दूसरे को समझने की जरूरत है. लेफ्ट ने हिंदुत्व को नकार दिया और उसे कभी समझने की कोशिश नहीं की, इसीलिए वो आज काफी पीछे चला गया है. वहीं हिंदुत्व विचारधारा वाले लोग भी अब यही गलती कर रहे हैं. वो जिसका विरोध कर रहे हैं, उसे समझते ही नहीं हैं.