Bhuj Earthquake In 2001: 22 साल पहले गुजरात के भुज में आए भूकंप ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. इस शक्तिशाली भूकंप ने गुजरात के भुज शहर की सैंकड़ों इमारतें जमींदोंज कर दी थी और लगभग 13 हजार लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. भूकंप के चार दिन बाद भी लोगों की लाश मलबों से निकाले जाने का सिलसिला जारी था. एक तीन मंजिला इमारत जो भूकंप के चलते ढह गई थी वहां बचावकर्मी जिंदगी ढूंढ रहे थे और तभी किसी बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी. 


कंक्रीट के ढेर के नीचे एक आठ महीने का बच्चा दबा था जिसे घंटों बाद मलबे से जिंदा बाहर निकाला गया. उस आठ महीने के बच्चे का नाम मुर्तजा अली वेजलानी है जो अब 22 साल का हो चुका है. मुर्तजा अब अपनी जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू करने जा रहे हैं. दरअसल पिछले हफ्ते ही भुज की एक मस्जिद में मुर्तजा ने राजकोट की एक लड़की से सगाई कर ली है. बता दें कि जब 26 जनवरी को भुज में 7.6 तीव्रता का भूकंप आया तो वेजलानी परिवार का तीन मंजिला घर भूकंप में जमींदोज हो गया. इस भूकंप में मुर्तजा के पूरे परिवार की जान चली गई. परिवार के आठ सदस्य, जिनमें उसके दादा, माता-पिता, चाचा-चाची और उनकी दो बेटियां शामिल थीं उन सभी की मौत हो गई. 


भूकंप में गई पूरे परिवार की जान
मुर्तजा की दादी उस समय अपने मायके मोरबी गई हुई थीं इसलिए वे बच गईं और चार दिन बाद 8 महीने के मुर्तजा को भी मलबे के ढेर से जिंदा बाहर निकाल लिया गया. एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि मुर्तजा को उसकी मां जैनब की गोद से निकाला गया था. जैनब की मौत हो चुकी थी, लेकिन मुर्तजा जिंदा था और यह किसी चमत्कार से कम नहीं था. मुर्तजा को उसकी बुआ नफीसा और उनके पति जाहिद लकड़ावाला ने पाला. अब मुर्तजा की सगाई हो गई है और सगाई समारोह के दौरान मुर्तजा काफी भावुक नजर आए.


जिंदगी की नई पारी की शुरुआत
मुर्तजा के नाना जमाली उस दिन को याद करते हैं जब मुर्तजा को बचाया गया था. वह कहते हैं कि 'मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि वाकई में यह समारोह हो रहा है. मैं उन दिनों को नहीं भूल सकता. हम आज जिंदा हैं और अपने खूबसूरत बेटे की सगाई होते हुए देख रहे हैं. मैं भगवान से दुआ करता हूं कि उसकी खुशी हमेशा बनी रहे.' मुर्तजा की मंगेतर अलेफिया हथियारी बीएससी की पढ़ाई कर रही हैं. मुर्तजा को लेकर उन्होंने कहा, 'जब हम पहली बार मिले थे तो मुर्तजा ने मुझे अपनी कहानी के बारे में बताया था. उनकी जिंदगी एक चमत्कार है. ऐसी कहानियां बहुत कम देखने को मिलती हैं.'


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