Harmukh Gangbal Yatra Starts: 15वीं हरमुख-गंगाबल यात्रा जम्मू कश्मीर के गांदरबल जिले से शुरू हो गई है. तीर्थयात्रा शुक्रवार (22 सितंबर) तड़के नारानाग मंदिर से निकली और गंगाबल झील तक चलेगी. इस यात्रा को कश्मीरी पंडितों में सबसे अधिक पूजनीय माना जाता है. धार्मिक उत्साह के बीच इस वार्षिक यात्रा के लिए नारानाग मंदिर से तीर्थयात्रियों का समूह रवाना हुआ. इसके साथ एसडीआरएफ की टीम, पुलिस और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे.


तीर्थयात्रियों के समूह में ज्यादातर कश्मीरी पंडित शामिल थे. उनको गांदरबल के उपायुक्त श्यामबीर सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस अवसर पर एसएसपी गांदरबल निखिल बोरकर और अन्य नागरिक और पुलिस अधिकारी भी उपस्थित रहे.


गंगाबल झील के तट पर पूजा करके लौटेंगे भक्त
भक्तों ने पहले नारानाग मंदिर में पूजा की और उसके बाद झील की यात्रा के लिए पैदल निकल पड़े, जो समुद्र तल से लगभग 14,500 फीट ऊपर हरमु पर्वत श्रृंखला में स्थित है. अधिकारियों के अनुसार भक्त गंगाबल झील के तट पर पूजा करने के बाद शनिवार (23 सितंबर) को लौट आएंगे. 


पंडितों के लिए अहम है यात्रा
तीर्थयात्रा का आयोजन हरमुख गंगा (गंगाबल) ट्रस्ट (HGGT) और ऑल पार्टीज माइग्रेंट्स कोऑर्डिनेशन कमेटी के बैनर तले किया गया. एक तीर्थयात्री ने कहा, "हम इस यात्रा का हिस्सा बनकर बहुत खुश हैं. यह यात्रा पंडितों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है." 


यात्रा के लिए सुरक्षा के इंतेजाम
डिप्टी कमिश्नर गांदरबल श्यामबीर सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन ने तीर्थयात्रियों के लिए आवास, भोजन, चिकित्सा और सुरक्षा व्यवस्था सहित सभी व्यवस्थाएं की हैं. साथ ही उनकी यात्रा के लिए कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं.


दिलबाग सिंह ने सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की
हरमुख-गंगाबल यात्रा से पहले जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने के लिए नारानाग का दौरा किया. इसके अलावा गंगाबल और इसके आसपास के इलाकों का हवाई दौरा भी किया. इस दौरान डीजीपी ने नारानाग मंदिर में पूजा-अर्चना की.


मंदिर में पूजा करने के बाद पैदल यात्रा
गौरतलब है कि 3570 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हरमुख-गंगाबल की तीर्थयात्रा हर साल गांदरबल जिले के कंगन के नारानाग क्षेत्र से शुरू होती है. नारानाग मंदिर में पूजा करने के बाद भक्त गंगाबल झील की पैदल यात्रा पर निकलते हैं, जो हरमुख पर्वत श्रृंखला में समुद्र तल से लगभग 14,500 फीट ऊपर स्थित है. तीर्थयात्री बुचरी और ट्रुन्खाल के रास्ते गंगाबल तक जाते हैं. वहां पहुंचने पर गंगाबल झील के तट पर पूजा की जाती है, जिसके बाद तीर्थयात्री अगले दिन लौट आते हैं.


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