नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो ब्लैक फंगस के नकली इंजेक्शन बनाकर बेच रहे थे. इनके पास से 3000 से ज्यादा नकली इंजेक्शन बरामद किए गए हैं. कुल 10 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं, जिनमें से दो डॉक्टर हैं.


दिल्ली में निजामुद्दीन पश्चिम इलाके में बने एक घर में जब क्राइम ब्रांच ने छापा मारा तो बड़े पैमाने पर नकली इंजेक्शन का जखीरा मिला. कुल 3284 इंजेक्शन मिले. इनमें से ज्यादातर नकली इंजेक्शन ब्लैक फंगस की बीमारी में काम आने वाली दवा लिपोसोमल अम्फोटेरिसिन बी के थे, जबकि कुछ इंजेक्शन रेमडेसिविर के थे. इनमें 300 इंजेक्शन एक्सपायर हो चुके थे जबकि बाकी इंजेक्शन सामान्य फंगस में काम आने वाली दवा से बनाए गए थे, जिनका इस्तेमाल ब्लैक फंगस के इलाज में नही किया जाता लेकिन इनको ये ब्लैक फंगस के इंजेक्शन का लेबल लगाकर बेच रहे थे.


मिली थी शिकायत


पुलिस के मुताबिक 17 जून को दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोल विभाग से शिकायत मिली की इस तरह नकली इंजेक्शन मिल रहे हैं. उसके बाद अलग-अलग जगहों से इस गिरोह के 10 लोगों को पकड़ा गया. इनमें जामिया नगर से डिलीवरी बॉय वसीम खान, खिदमत मेडिकोज का मालिक शोएब खान और उसका सेल्समैन मोहम्मद फैजल यासिन और अफजल पकड़े गए. इसके अलावा मयंक तलूजा जो इंजेक्शन का पैसा लेने आया था वो भी पकड़ा गया.


शोएब खान ने बताया कि वो ये इंजेक्शन साकेत में मेडीज हेल्थकेयर के मालिक शिवम भाटिया से लाता था. शिवम भाटिया को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. शिवम ने बताया कि वो ये इंजेक्शन आफताब नाम के शख्स से लाता है. आफताब को निजामुद्दीन से जबकि उसके बड़े भाई अल्तमस हुसैन को देवरिया से पकड़ा गया. इसके बाद मेडीज हेल्थकेयर का मालिक डॉक्टर आमिर और डॉयरेक्टर फैजान को पकड़ा गया.


डिग्रियों पर पुलिस को शक


आमिर ने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस किए जाने का दावा किया है जबकि फैजान ने बीटेक किया है. डॉक्टर अल्तमश ने लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया और फिर एम्स से न्यूरोलॉजी से डिप्लोमा किया है लेकिन इनकी डिग्रियों पर पुलिस को शक है क्योंकि अल्तमस ने बारहवीं 27 साल की उम्र में की. ऐसे में उसने डॉक्टर की डिग्री कैसे ले ली. साथ ही वो ठगी के 5 केसों में गिरफ्तार हो चुका है.


क्राइम ब्रांच की डीसीपी मोनिका भारद्वाज ने बताया कि हमने गिरफ्तार आरोपियों में से दो डॉक्टर आमिर और डॉक्टर अल्तमस से उनके कारनामों पर बात की. हालांकि दोनों का कहना है वो कोरोना की दूसरी लहर से पहले ये इंजेक्शन रख जरूर रहे थे लेकिन ब्लैक मार्केटिंग उनके आगे की चेन ने की और खुद को बेकसूर बता रहे हैं लेकिन पुलिस के पास इनके खिलाफ पक्के सबूत लगे हैं.


अब तक ये गैंग 400 से ज्यादा नकली इंजेक्शन बेच चुका है. ये लोग 250 रुपये का इंजेक्शन 12000 रुपये तक बेचते थे. क्राइम ब्रांच इनकी कस्टडी लेकर इनके और साथियों की तलाश कर रही है. साथ ही इनकी डिग्री की असलियत पता लगाने के साथ डॉक्टर्स से भी कंसल्ट कर रही है.


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