Delhi Violence Main Accused: दिल्ली में दंगे की साजिश 2019 में चल रहे CAA और NRC के खिलाफ प्रोटेस्ट से ही शुरू हो गई थी. 5 दिसंबर को होने वाले जामिया दंगे में Delhi Riots की खिचड़ी पकने लगी थी. जामिया में हुए दंगों की साजिश की जांच में पुलिस का दावा है कि जामिया हिंसा से दिल्ली दंगों की साजिश की शुरुआत हो चुकी थी. पुलिस ने चार्जशीट में बताया गया कि कैसे शरजील इमाम, उमर खालिद, आसिफ, मीरान, सफूरा, नताशा आदि छात्रों समेत पीएफआई, पिंजरा तोड़ जैसे संगठनों की भूमिका रही.


इस खबर में हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों हुआ था दिल्ली दंगा और कौन-कौन थे इस दंगा के मुख्य सूत्रधार. हम आपको ये भी बताएंगे कि उन सूत्रधारों कि इन दंगों में क्या भूमिका थी. दंगे की शुरुआत रविवार, 23 फ़रवरी 2020 को हुई थी, जो शनिवार, 29 फरवरी 2020 तक चला था. 23 फरवरी 2020 को उत्तर पूर्वी दिल्ली में अचानक दंगे भड़क गए थे. दंगाग्रस्त क्षेत्रों की सड़कों पर सांप्रदायिक नफरत की आग धधक उठी थी. इन दंगों के दौरान 53 लोगों की जान गई थी. वहीं, सैकड़ों लोग जख्मी हुए थे. लोग एक दूसरे के खून के प्यासे बन चुके थे. 


कौन है उमर खालिद और दिल्ली दंगा में क्या है इसकी भूमिका


दिल्‍ली में रहने वाले उमर खालिद ने दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से बैचलर्स डिग्री लेने के बाद जेएनयू का रुख किया. यहां से मास्‍टर्स और एम.फिल करने के बाद उसने पीएचडी भी पूरी कर ली. पढ़ाई के साथ-साथ खालिद की दिलचस्‍पी पॉलिटिकल ऐक्टिविज्‍म में भी रही है. वह छात्रनेता रहा है. दिल्ली दंगे की चार्जशीट के मुताबिक ताहिर हुसैन और उमर खालिद ने आठ जनवरी, 2020 को ही शाहीन बाग में दंगे की शुरुआती भूमिका रची थी. इसके बाद 16-17 फरवरी को दोनों ने फिर से दंगा भड़काने का प्लान बनाया. 


उस वक्त इन लोगो ने ये भी प्लान किया था कि जरूरत पड़ने पर पेट्रोल और तेजाब बम का प्रयोग किया जा सकता है. अलग-अलग जगहों पर साजो-सामान जुटा कर आंदोलन को उग्र रूप देने की पूरी तैयारी की जा रही थी. उमर खालिद करीब दो दर्जन से ज्यादा जगहों पर सीएए के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों में हिस्सा लेकर लोगों को उकसाने का काम कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने सरकार और राष्ट्र विरोधी बातें भी कहीं. दंगे से जुड़े कई मामलों में उमर खालिद के ऊपर यूएपीए और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.





शरजील इमाम और दिल्ली दंगा में इसकी भूमिका


शरजील इमाम जेडीयू नेता रहे अकबर इमाम का बेटा है. बिहार के जहानाबाद के काको का रहने वाला है. शरजील इमाम जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय में मॉडर्न इंडियन हिस्ट्री का छात्र रह चुका है. शरजील IIT मुंबई से कंप्यूटर साईंस में ग्रेजुएट भी है. एनआरसीसी-सीएए आंदोलन के बाद दिल्ली में भड़की हिंसा के लिए दिल्ली पुलिस ने अनेक लोगों को गिरफ्तार किया था. जिनमें से एक नाम जेएनयू छात्र शरजील इमाम का भी था. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, जब नागरिकता कानून को लेकर देशभर में विरोध हो रहा था, उस वक्त शरजील इमाम ने दिल्ली के जामिया इलाके में समुदाय विशेष के लोगों के बीच भावनात्मक भाषण दिया था. इलके साथ ही शरजील इमाम पर सोशल मीडिया पर भी भड़काऊ बयान देने का आरोप है. यह वायरल वीडियो मुस्लिमों की भावनाओं को भड़काने वाला था. पुलिस का कहना है कि शरजील इमाम के इन्हीं बयानों के बाद दिल्ली में दंगे हिंसक हुए थे.




ताहिर हुसैन और दिल्ली दंगा में इसकी भूमिका
ताहिर हुसैन 2017 के MCD चुनाव में (AAP) के टिकट पर जीता था, लेकिन फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए सांप्रदायिक दंगों के मामले में ताहिर हुसैन का नाम बतौर साजिशकर्ता का आरोप लगा. इसके बाद आम आदमी पार्टी ने ताहिर हुसैन को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. इसके साथ ही MCD ने 20 अगस्त 2020 को ताहिर की सदस्यता खत्म कर दी थी. फरवरी 2020  में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे हुए थे. ताहिर हुसैन पर दंगे भड़काने और उनकी फंडिंग के आरोप के साथ ही अन्य कई आरोप हैं. ताहिर हुसैन ने अपने कबूलनामे में बताया कि कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद खालिद सैफी मेरे पास आया और दोनों ने कुछ बड़ा कांड करने का प्लान करने लगा. 


इसी बीच राम मंदिर का भी फैसला आ गया और CAA कानून भी आ गया. अब  ताहिर को लगा कि पानी सिर से ऊपर जा चुका है. ताहिर हुसैन ने कहा, 'PFI के दफ्तर में हमने प्लान बनाया कि दिल्ली में कुछ ऐसा करेंगे की यह सरकार हिल जाए और सरकार CAA विरोधी कानून वापस लेने को मजबूर हो जाए. इसलिए ताहिर ने दिल्ली दंगा में पैसो से लेकर बम, गोली, बारूद,पेट्रोल, शीशे आदि सामान इकट्ठा करके इतने बड़े दंगे को अंजाम देने में सहयोग किया. 25 फरवरी 2020 को दिल्ली के चांद बाग इलाके में हुई IB अधिकारी अंकित शर्मा हत्याकांड में भी ताहिर हुसैन की अहम भूमिका बताई गई है. 




दिल्ली दंगा में फैजल फारूक की भूमिका


दिल्ली दंगों की जांच कर रही एसआईटी (SIT) की रिपोर्ट में खुलासा करते हुए कहा है कि इस हिंसा का मास्टरमाइंड राजधानी पब्लिक स्कूल का मालिक फैजल फारूक है. पुलिस ने दावा किया है कि हिंसा बड़ी साजिश के तहत हुई थी. फैजल फारूक हिंसा के ठीक पहले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कई नेताओं, पिंजरा तोड़ ग्रुप, निज़ामुद्दीन मरकज़, जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी और देवबंद के कुछ धर्मगुरुओं के संपर्क में था.


फैज़ल हिंसा से ठीक एक दिन पहले देवबंद भी गया था. पुलिस को उसके मोबाइल से इस बात के सबूत मिले हैं. एसआईटी की जांच में पता चला कि ये पूरी साजिश फैज़ल फारूक ने की थी. उपद्रवी नीचे उतरे और डीआरपी स्कूल को आग लगा दी गई. स्कूल के कंप्यूटर और महंगा सामान लूट लिया गया. इन लोगों ने पास ही एक दूसरी इमारत में भी आग लगा दी, जिसमें अनिल स्वीट्स नाम से मिठाई की दुकान थी. इस दुकान का एक कर्मचारी दिलबर नेगी भी दुकान में फंस गया और उसे ज़िंदा जला दिया गया था.




दिल्ली दंगा मोहम्मद अंसार की भूमिका


मोहम्मद अंसार जो कि जहांगीरपुरी का ही रहने वाला है. अंसार का जन्म जहांगीरपुरी में ही हुआ था.हालांकि इसकी पारिवारिक जड़ें पश्चिम बंगाल से जुड़ी हुई हैं. इस पर आर्म्स एक्ट का मामला चल रहा है. इस पर सट्टेबाजी के पांच मामले दर्ज हैं. चौथी कक्षा तक पढ़ा अंसार कबाड़ी का काम करता है. अंसार दिल्ली दंगा के मुख्य साजिशकर्ता में से एक है. उनके आपराधिक इतिहास की फेहरिस्त काफी लंबी है. मोहम्मद अंसार पर पहले सात एफ़आईआर हैं, जिसमें से एक जुआ खेलने, एक सरकारी कर्मचारियों पर हमले और एक एफ़आईआर लोगों को नुक़सान पहुंचाने से जुड़ी है. दिल्ली पुलिस के रिकॉर्ड्स में वो हिस्ट्रीशीटर है. स्थानीय पुलिस की निगरानी में हमेशा रहा है. उस पर चल रहे सातों केस, अभी ट्रायल स्टेज पर हैं और वो बेल पर है. 




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