Tejas Review In Hindi: When in Doubt think about Nation...कंगना की फिल्म तेजस का ही डायलॉग है यानि मन में कोई दुविधा हो तो देश के बारे में सोचिए. तो क्या ये फिल्म बनाने के बाद आपने देश के बारे नहीं सोचा कि देश के एयरफोर्स के नाम पर आप कैसी फिल्म दे रहे हैं. यकीकन एयरफोर्स इससे बेहतर फिल्म डिजर्व करती है. कंगना की तेजस को देखकर तो तेजी से बोरियत होती है और तेजी से नींद आती है और एक अच्छी बात ये है कि ये फिल्म तेजी से खत्म हो जाती है. बिना आपके दिल को छुए.


कहानी
ये कहानी है तेजस गिल नाम की पायलट की जो किरदार कंगना ने निभाया है. वो तेजस एयरक्राफ्ट ही चलाती है और उसे एक मिशन पर जाना है. अब ये भी समझ जाइए कि मिशन पाकिस्तान में है. ये तो आप समझ ही गए होंगे कि वहां कुछ आतंकी हैं जो भारत के खिलाफ साजिश रच रहे हैं और ये भी आप समझ गए होंगे कि तेजस इस मिशन में कामयाब हो जाती है. हम ये सब सालों से सुन रहे हैं और वही सुनी सुनाई कहानी इस फिल्म में भी दिखती है.


कैसी है फिल्म
ये फिल्म शुरू से ही आपको बोरिंग लगती है. वही हीरोइन का किसी को बचाते हुए एंट्री सीन, उसका एक अतीत और फिर मिशन. आमतौर पर जब कोई सितारा वर्दी पहनता है तो थिएटर में जोश भर जाना चाहिए और खासतौर पर कंगना जैसी कमाल की अदाकारा पहने तो जोश दोगुना हो जाना चाहिए. लेकिन यहां तो आप बोर हो जाती हैं. फिल्म कहीं भी आपके दिल को नहीं छूती. एक भी सीन ऐसा नहीं है जिसे देखकर आप चौंक जाएं या आपको मजा आए. वीएफएक्स बहुत खराब हैं, किसी वीडियो गेम जैसे लगते हैं. आपको ये फिल्म देखते हुए लगता है कि क्या इस फिल्म को बनाने वालों ने इसे बनाने के बाद देखा होगा. अगर हां तो इसमें बदलाव क्यों नहीं किए या फिर उन्हें भी समझ नहीं आया कि अब तो बना दी, अब क्या ही करें. फिल्म में अयोध्या का राम मंदिर भी दिखाया गया है लेकिन श्रीराम भी इस फिल्म को नहीं बचा पाते. हमारी एयरफोर्स पर इससे बहुत बेहतर फिल्म बननी चाहिए थी.


एक्टिंग
सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली भी कभी जीरो पर आउट हो जाते हैं. यहां कंगना के साथ भी ऐसा ही हुआ है. वो कमाल की एक्ट्रेस हैं इसमें कोई शक नहीं हैं लेकिन यहां कंगना कमजोर स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले के आगे कुछ नहीं कर पाती. वो वर्दी में कमाल लगती हैं लेकिन सिर्फ कमाल लगने से ही तो काम नहीं चलता ना कमाल तो वो इंस्टाग्राम पर भी लगती हैं लेकिन यहां लोग फिल्म देखने गए हैं और वो निराश होते हैं. अंशुल चौहान भी फिल्म में पायलट के किरदार में हैं और वो इकलौती हैं जिन्होंने फिल्म में मुझे इंप्रेस किया. उनकी एक्टिंग काफी अच्छी है. वरुण मित्रा और आशीष विद्यार्थी भी ठीक हैं लेकिन कुल मिलाकर फिल्म की राइटिंग ही खराब है तो एक्टर क्या करते. 


डायरेक्शन
सर्वेश मेवारा का डायरेक्शन और राइटिंग दोनों काफी एवरेज हैं. कंगना जैसी एक्ट्रेस को भी वो ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाए. वो फिल्म में कुछ ऐसा नहीं डाल पाए कि लोग उससे कनेक्ट करें. वही घिसी पिटी कहानी और खराब ट्रीटमेंट.


म्यूजिक
फिल्म का म्यूजिक ठीक है. बीच में जब गाने आते हैं तो आप उन्हें एन्जॉय करते हैं. शाशवत सचदेव ने फिल्म का म्यूजिक दिया है. दिल है रांझणा और सैयां वे गाने काफी अच्छे लगते हैं. 


कुल मिलाकर ये फिल्म कंगना के लेवल को नीचे लाती हैं. कंगना ने अपनी एक्टिंग से अपने लिए जो एक जगह बनाई है. उसके बाद अब उन्हें देखना होगा कि वो कौनसी फिल्म कर रही हैं. वो बिना हीरो के फिल्म करती हैं. अपने दम पर फिल्म चलाती हैं तो फिल्म में भी दम होना चाहिए.


ये भी पढ़ें: लाइव कॉन्सर्ट में फैन ने Atif Aslam पर उड़ाए पैसे, भड़के सिंगर ने परफॉर्मेंस रोक स्टेज पर बुलाया और फिर...