इस साल सनम तेरी कसम फिर से रिलीज हुई और थियेटर में लाइन लग गई. जो फिल्म अपनी रिलीज के वक्त नहीं चली थी वो फिर से जब आई तो कमाल कर गई. अब फिर से हर्षवर्धन लौटे हैं. एक जुनून से भरी लव स्टोरी के साथ, इस बार भी सुबह का शो फुल था.
कम शोज होने के बाद भी यंगस्टर्स ये फिल्म देखने आए थे, और वो निराश नहीं हुए. उन्हें फिर से ऐसा हर्षवर्धन देखने को मिला जो उन्हें चाहिए था और सोनम ने भी कमाल कर दिया है और जैसा कि बार बार हर्षवर्धन बोलते हैं प्लीज इस बार टिकट खरीद लेना तो टिकट खरीद लीजिए.
कहानी - हर्षवर्धन राणे यानी विक्रमादित्य एक पावरफुल राजनेता हैं. अदा यानी सोनम बाजवा एक एक्ट्रेस हैं. विक्रम को अदा से प्यार हो जाता है लेकिन अदा को ये मोहब्बत कबूल नहीं और फिर ये दोनों दीवानियत की हर हद को पार कर देते हैं. क्या होता है ये थिएटर जाकर देखिएगा.
कैसी है फिल्म - हम सबको ज़िंदगी में कोई न कोई नाकाम मोहब्बत जरूर होती है. ये फिल्म उसी इमोशन को हिट करती है और कायदे से करती है. हर्षवर्धन फिल्म में अदा यानी सोनम के घर जाकर उनके पापा से कहते हैं कि मैं आपकी बेटी का हाथ मांगने नहीं आया. अपनी होने वाली बीवी के बाप को ये बताने आया था कि कन्यादान की तैयारी शुरू कर दें क्योंकि बेटी तो विदा करनी पड़ेगी.
सोनम कहती हैं बादशाहों ने औरतों के लिए मकबरे बनवाए. तू पहला बादशाह है जिसका मकबरा एक औरत की नफरत में बनेगा. इसी तरह के डायलॉग सुनकर खूब सीटी ताली बजती है. इश्क की शिद्दत को आप महसूस करते हैं, फिल्म का म्यूजिक कमाल है और गाने कमाल लगते हैं
फर्स्ट हाफ में कहानी का बिल्ड अप अच्छा है और सेकेंड हाफ में तो मजा आ जाता है. यहां सिनेमैटिक लिबर्टी ली गई है लेकिन दीवानियत से उसे जस्टिफाई भी किया गया है. कुल मिलाकर ये फिल्म इश्क करने वालों को तो बहुत जबरदस्त लगेगी. हर्षवर्धन के फैंस तो उनके इस अवतार को खूब पसंद करेंगे. अगर इस फिल्म को और बड़े बजट पर बनाया जाता तो ये और ग्रैंड बनती लेकिन अब भी ये एक बहुत अच्छी फिल्म बनी है.
एक्टिंग- हर्षवर्धन राणे का काम जबरदस्त है. उनका एक अलग स्वैग दिखता है और इसी अंदाज के लोग दीवाने हैं. उनकी आंखों में कमाल की इंटेंसिटी दिखती है. उनकी डायलॉग डिलीवरी जबरदस्त है. एक नेता की बॉडी लैंग्वेज को भी उन्होंने अच्छे से पकड़ा है.
सोनम बाजवा ने कमाल का काम किया है. वो लगती तो खूबसूरत हैं ही उनकी एक्टिंग भी बढ़िया है. वो कोई बेचारी नहीं लगती जो एक सिरफिरे आशिक से परेशान है. वो भी अलग तरह से दीवानियत दिखाती हैं और बस आप देखते रह जाते हैं. शाद रंधावा ने अच्छा और अहम किरदार निभाया है. अनंत महादेवन का रोल अच्छा है. हर्षवर्धन के पिता के रोल में सचिन खेडकर बढ़िया हैं.
राइटिंग और डायरेक्शन - मुश्ताक शेख और मिलाप जावेरी ने फिल्म लिखी है और मिलाप जावेरी ने डायरेक्ट की है. राइटिंग बढ़िया है, डायलॉग तो कमाल हैं, डायरेक्शन भी अच्छा है.
कुल मिलाकर इस फिल्म की टिकट ले लीजिए
रेटिंग - 3 stars