Do Aur Do Pyaar Review: मोहब्बत वो जो मुकम्मल ना हो सके, क्या वाकई ऐसा होता है. अगर ऐसा होता तो अमिताभ रेखा, दिलीप कुमार मधुबाला, राज कपूर -नरगिस, इन्हीं की मोहब्बत के किस्से क्यों अफसाने बनते. शादी के बाद एक रिश्ते की हैप्पी एंडिंग हो जाती है, ये सब पहले फिल्मों में होता था, अब मॉर्डन जमाने में शायद ऐसा नहीं होता, आज की शादियों में क्या दिक्कतें होती हैं, कहां प्यार कम या खत्म हो जाता है. आज शादीशुदा जोड़े कहीं और प्यार ढूंढने लगते हैं. ये फिल्म शादी के बाद की खुशी पर बात करती है और कायदे से करती है.


कहानी
विद्या बालन और प्रतीक गांधी पति पत्नी हैं, दोनों ने परिवार के खिलाफ जाकर लव मैरिज की थी. उनकी शादी को कई साल बीत चुके हैं, लेकिन अब वो लड़ते नहीं हैं, आप कहेंगे ये तो अच्छी बात है लेकिन जनाब लड़ने से रिश्ते जिंदा रहते हैं,ऐसा फिल्म में विद्या कहती हैं और शायद ये सही भी है यानि इनका रिश्ता अब जिंदा नहीं है. दोनों के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर चल रहे हैं. विद्या एक हैंडसम फोटोग्राफर सेंधिल रामामूर्ति के इश्के में गिरफ्तार हैं तो प्रतीक को प्यार है एक थिएटर एक्टर इलियाना डिक्रूज से. इलियान प्रतीक के बच्चे की मां भी बन जाती है, विद्या और प्रतीक दोनों एक दूसरे को बताना चाहते हैं कि वो इस शादी को खत्म करना चाहते हैं लेकिन कह नहीं पा रहे. इतने में परिवार में किसी की डेथ हो जाती है और उन्हें एक फ्यूनरल पर जाना पड़ता है, क्या वो फ्यूनरल इनके रिश्ते का भी अंत होगा. क्या दोनों फिर साथ आ जाएंगे. क्या होगा इनके एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का. ये जानने के लिए इस फिल्म को देखना पड़ेगा.


कैसी है फिल्म
इस फिल्म को लेकर बहुत हल्ला नहीं है क्योंकि इसमें कोई बड़ा हीरो नहीं है लेकिन जब विद्या हैं तो किसी बड़े हीरो की क्या जरूरत. लेकिन ये फिल्म अच्छी है. ये फिल्म रिश्तों की वो सच्चाई दिखाती है जिससे आप रिलेट कर पाते हैं. फिल्म में भारी भरकम डायलॉग नहीं हैं लेकिन जो हैं उनसे आप कनेक्ट करते हैं. आपको लगता है ऐसा तो हमारे साथ भी होता है, ऐसा तो हमारे आसपास भी होता है. पति पत्नी का रिश्ता कुछ सालों बात कैसा हो जाता है शायद इस फिल्म को देखकर आप समझ पाते हैं और अगर आपकी शादी को भी सालों बीत गए हैं तो इससे रिलेट भी कर पाएंगे. ये फिल्म बाप बेटी के रिश्ते को भी खूबसूरती से दिखाती है. कुल मिलाकर ये एक रिलेटेबल फिल्म है. ये कोई ऐसी फिल्म नहीं है जहां हीरो 20 गुंडों को पीटता है लेकिन हीरो जब कुछ बोलता है तो आपके दिल पर लगती है. सेंथिल की टूटी फूटी हिंदी आपके चेहरे पर मुस्कान लाती है. विद्या का अंदाज आपको दिलकश लगता है. प्रतीक दिल को छूते हैं .


एक्टिंग
विद्या बालन फिल्म की हीरो हैं. वो एक पत्नी एक बेटी  और एक माशूक तीनों किरदार निभाती हैं और शिद्दत से निभाती हैं. विद्या को देखकर आपको लगता है कि भाई कमाल की एक्ट्रेस है. एक एक एक्सप्रेशन एक एक डायलॉग रिलेटेबल लगता है. आप विद्या के किरदार से जुड़ जाता हैं. उनके साथ उनकी कहानी में साथ चलते हैं. प्रतीक गांधी को देखकर लगता है कि अगर ये बंदा विद्या जैसी मंझी हुई एक्ट्रेस के सामने इतनी अच्छी एक्टिंग कर सकता है तो ये काफी आगे जाएगा. इस किरदार को प्रतीक ने पूरे परफेक्शन से निभाया है. सेंथिल काफी हैंडसम लगते हैं और बस आप उनकी हिंदी पर ही फिदा हो जाते हैं. वो अमेरिकन एक्टर हैं और यहां भी वो एक विदेशी फोटोग्राफर के रोल में हैं और इस किरदार के लिए पूरी तरह फिट हैं. इलियाना भी अच्छी लगी हैं. उन्हें और स्पेस दिया जाता तो वो और अच्छा करती. 


डायरेक्शन
शीर्षा गुहा ठाकुरता की ये पहली फिल्म है. उनका डायरेक्शन सधा हुआ है. रिश्तों को लेकर उनकी समझ अच्छी है और ये पर्दे पर दिखता भी है. विद्या जैसी एक्ट्रेस को उन्होंने कायदे से इस्तेमाल किया है. ये फिल्म देखकर उनसे और उम्मीद जगती है.


कुल मिलाकर ये एक अच्छी फिल्म है और शादीशुदा लोग इससे रिलेट कर पाएंगे शायद ये यंग जेनरेशन को उतनी अपील ना करे.


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