Dahaad Review: इन दिनों ओटीटी पर हर रोज ही कई वेब सीरीज और फिल्में आती हैं.ऐसे में कुछ ऐसा बनाना जो दर्शकों को अपनी तरफ खींच सके काफी चैलेंजिंग हो गया है और प्राइम वीडियो पर आई दहाड़ इस चैलेंज को अच्छे से पूरा करती है. 8 एपिसोड की ये सीरीज जबरदस्त है और एक ऐसी कहानी दिखाती है जो आपको हिला डालती है.और काफी कुछ सोचने पर भी मजबूर करती है. 


कहानी
दहाड़ की कहानी राजस्थान के एक इलाके की है. जहां एक लड़की के गायब होने की शिकायत को पुलिस नजरअंदाज कर देती है..उसका भाई बार बार गुहार लगाता है लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती.इसी दौरान ठाकुर समुदाय की एक लड़की और एक मुस्लिम लड़का अपनी मर्जी से घर से भाग जाते हैं.और क्योंकि लड़का मुस्लिम है और पुलिस पर राजनीतिक दबाव आता है तो पुलिस इस केस की छानबीन में तेजी से लग जाती है.और फिर पहले गायब हुई लड़की का भाई भी ये कहता है कि उसकी बहन एक मुस्लिम लड़के के साथ ङी भागी है .अब बात धर्म पर आ जाती है औऱ कहानी एक नया ही मोड़ ले लेती है  और फिर 27 लड़कियों को मारने वाले एक सीरियल किलर का खुलासा होता है. ये सब कैसे होता है. ये आपको  इस दिलचस्प वेब सीरीज में खुद देखना होगा. 


एक्टिंग
सोनाक्षी सिन्हा अंजलि भाटी नाम की पुलिस अफसर के किरदार में हैं ..उनका ये ओटीटी पर डेब्यू है और कहना होगा कि ये उनका बेस्ट भी है..सोनाक्षी ने ये किरदार जबरदस्त तरीके से निभाया है. जिस तरह से उन्होंने इस किरदार के बोलने का तरीका और बॉडी लैंग्वेज को पकड़ा है वो काबिले तारीफ है.राजस्थान की बोली को सोनाक्षी ने परफेक्शन के साथ बोला है. विजय वर्मा की जितनी तारीफ की जाए कम है. वो एक बार फिर से सबको डराने में कामयाब हुए हैं .एक सीधा सादा पढ़ा लिखा प्रोफेसर कैसे खूंखार बन जाता है.इस किरदार को ट्रांजिशन को विजय ने बखूबी निभाया है. गुलशन देवैया पुलिसवाले के किरादर में हैं और उनका काम भी काफी अच्छा है. सोहम शाह भी पुलिसवाले बने हैं और उनके किरदार का एक अलग ही रंग दिखता है और उनका काम भी जबरदस्त है. वो भी अपनी एक्टिंग से काफी इम्प्रेस करते हैं.


कैसी है वेब सीरीज
देखने से पहले मुझे लगा था कि ये वेब सीरीज तो काफी लंबी है.लगभग 1-1 घंटे के  8 एपिसोड हैं लेकिन इस कहानी को जिस दिलचस्प तरीक से पेश किया गया है .ये आपको एंड तक बांधे रखती है..बहुत कम जगह पर ऐसा होता है जब आपको लगता है कि कहानी थोड़ी खिंच रही है लेकिन फिर ऐसा कुछ हो जाता है कि आपकी दिलचस्पी वापस आ जाती है.ये सीरीज सिर्फ हिंदू मुस्लिम की बात नहीं करती..धर्म की बात नहीं करती.और भी बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है ..ये सिर्फ क्रिमिनल की बात नहीं करती. ट्विस्ट एंड टर्न के जरिए उसे पकड़ने की कहानी नहीं दिखाती.बल्कि वो क्रिमिनल कैसे बना..ये दिखाती है इस तरह से दिखाती है कि आप उसकी कहानी को महसूस करते हैं.


डायरेक्शन
रीमा कागती और रुचिका ओबरॉय ने इस सीरीज को डायरेक्ट किया है  और उनका डायरेक्शन अच्छा है..जिस बात को वो कहना चाहते थे उसे कहने में वो कामयाब हुए हैं.


सिनेमैटोग्राफी 
सिनेमैटोग्राफी की तारीफ जरूर करनी होगी क्योंकि जिस तरह से राजस्थान को दिखाया गया है..आपको लगता है कि ये कहानी आप वहीं बैठकर देख रहे हैं.महसूस कर रहे हैं और इसके लिए तनय साटम की जितनी तारीफ की जाए कम है.


कमी
बहुत कम जगहों पर आपका मन करता है कि इसे फास्ट फॉरवर्ड करें और कुछ दर्शकों के लिए शायद ये अगर थोड़ी सी छोटी होती है तो और बेहतर होती.


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