Procrastination Syndrome In Youngsters: आजकल वर्क स्टाइल और लाइफस्टाइल की वजह से कई ऐसी बीमारियां पैदा हो रही हैं, जो लोगों के लिए अभी तक अनजान थीं. मेट्रो सिटीज में शिफ्ट वाली जॉब करने वाले लोग, तनाव, नींद न आना और मोटापे के शिकार हो रहे हैं. कुछ मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सकों का कहना है कि हैदराबाद में पिछले कुछ समय में 21-30 साल की उम्र के लोगों में रिवेंज बेडटाइम प्रोक्रैस्टिनेशन सिंड्रोम के मामले काफी बढ़ रहे हैं. ऐसे ज्यादातर लोग या तो देर रा काम करते हैं या नाइट और मॉर्निंग शिफ्ट में काम करते हैं. 


क्या है प्रोक्रैस्टिनेशन सिंड्रोम
ये एक ऐसी मनोस्थिति है जिसमें इंसान अपनी स्लीप पैटर्न की वजह से नींद को आने से रोकता है. कई बार नींद आ भी रही होती है तो भी जान-बूझकर नींद को भगाने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोग कुछ खाकर, मूवी देखकर या फिर ओटीटी पर ज्यादा समय बिताकर नींद को भगा देते हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि अगर आप लंबे समय तक यही रुटीन रखते हैं तो इससे आप चाह कर भी समय पर नहीं सो सकते हैं.


क्यों बनती है देर से सोने की आदत ?
दरअसल मेट्रो सिटीज में लोग सुबह के निकले शाम को घर पहुंचते हैं. कई घंटे ऑफिस और सफर में बिताने के बाद जब सब काम से फ्री होकर लोग घर पहुंचते हैं तो उन्हें कई बार मी टाइम यानि अपने लिए कुछ समय निकालने का मन होता है. ऑफिस से आते ही सोना उन्हें कई बार समय की बर्बादी लगती है. ऐसे लोग नींद से बचते हैं. कई बार देर से घर आने पर घर के बाकी सदस्य सो चुके होते हैं. ऐसे में लोग अकेले रात में देर तक जागते रहते हैं. 


देर तक जागने के नुकसान 
अगर आप लंबे समय तक देर तक जागने की आदत बना लेते हैं तो इससे आपकी सेहत को काफी नुकसान हो सकता है. 



  • इससे नींद न आने की समस्या हो सकती है. 

  • ऐसे लोगों में मोटापा तेजी से बढ़ता है. 

  • रात में देरी से सोने वाले लोगों में तनाव बढ़ता है.

  • लंबे समय तक ऐसा करने से आपकी कार्य क्षमता पर असर पड़ता है.

  • ऐसे लोगों में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ता है.

    Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.


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