Janmashtami 2022 : भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) का जन्म भद्रा माह के रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि को हुआ था. हर साल उनके जन्म तिथि पर कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2022) का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन मथुरा और वृंदावन में भक्तों की जबरदस्त भीड़ होती है. यहां का वातावरण कृष्ण भक्ति में सराबोर होता है. इसके अलावा भारत में कई और श्रीकृष्ण मंदिर हैं, जहां उनकी भक्ति का रसपान करने दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं. आज कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हम आपको बताने जा रहे हैं दक्षिण भारत के उनक कृष्ण मंदिर के बारे में जो काफी प्रचीन हैं और प्रसिद्ध भी. यहां आकर मथुरा-वृंदावन जैसा ही अनुभव होता है...

 

जगन्नाथ पुरी, उड़ीसा

उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी मंदिर की महिमा कौन नहीं जानता है. भारत के चार धामों में से इस मंदिर में भगवान कृष्ण बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं. मान्यता है कि द्वापर युग के बाद भगवान पुरी चले आए थे और यहीं निवास करने लगे थे. जगन्नाथ पुरी में हर साल रथयात्रा निकाली जाती है, जो न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. यहां भगवान कृष्ण के रथ खींचने दूर-दूर से भक्त आते हैं. कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर आप भगवान के दर्शन करने जगन्नाथ पुरी धाम जा सकते हैं.

 

श्रीकृष्ण मठ मंदिर उडुपी, कर्नाटक

कर्नाटक के उडुपी में स्थित श्रीकृष्ण मठ दक्षिण भारत में भगवान श्रीकृष्ण के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. इस मंदिर का निर्माण लकड़ी और पत्थर से किया गया है. यहां भगवान कृष्ण की पूजा खिड़की के नौ छिद्रों से की जाती है. मंदिर के पास एक तालाब है, जिसमें मंदिर का प्रतिबिंब दिखाई देता है. हर साल जन्माष्टमी के मौके पर यहां अलग ही नजारा देखने को मिलता है. यहां भव्य तरीके से भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है. जन्माष्टमी के मौके पर इस मंदिर में भक्तों की जबरदस्त भीड़ होती है.

 

गुरुवायूर मंदिर, केरल

दक्षिण का द्वारका नाम से प्रसिद्ध गुरुवायूर मंदिर केरल में है. इस मंदिर को भूलोका बैकुंठ के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि यह पृथ्वी पर भगवान विष्णु का पवित्र निवास स्थान है. यहां भगवान कृष्ण बाल रूप में भी विराजमान हैं, जिन्हें गुरुवायुरप्पन कहते हैं. इस मंदिर को लेकर पौराणिक कथा है कि जब गुजरात के द्वारका में बाढ़ आई, जो भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति बाढ़ में बह गई. पानी में इस मूर्ति को देख बृहस्पति जी इसे अपने साथ ले आए और दोबारा से स्थापित करने का विचार किया. वह जगह की तलाश कर रहे थे कि उन्हें केरल में भगवान शिव और माता पार्वती के दर्शन हुए. उन्होंने बृहस्पति देव को कृष्ण की मूर्ति केरल में ही स्थापित करने को कहा. जिसके बाद बृहस्पति जी ने वायु देव की मदद से इस मूर्ति को स्थापित किया. इसलिए इस मंदिर का नाम गुरु बृहस्पति और वायु देव के नाम पर गुरुवायूर रखा गया.

 

पार्थसारथी मंदिर त्रिपलीकेन, चेन्नई

दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों में चेन्नई के पार्थसारथी मंदिर का नाम भी लिया जाता है. यह मंदिर त्रिपलीकेन में स्थित है. इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं भी प्रचलित हैं। मंदिर का इतिहास सदियों पुराना बताया जाता है. यह अपनी वास्तुकला को लेकर भी प्रसिद्ध है. यह एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान विष्णु के चार अवतारों कृष्ण, राम, नृसिंह और भगवान वराह की पूजा की जाती है. 

 

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