फैमिली ट्रेवल का ट्रेंड अब तेजी से बदल रहा है. पहले जहां छुट्टियों का मतलब टूरिस्ट स्पॉट पर फोटो खिंचवाना, लंबी प्लानिंग और थकने वाला शेड्यूल होता था. वहीं अब फैमिली, ट्रेवलिंग को एक अनुभव के तौर पर लेने लगी है. आज की पीढ़ी सिर्फ घूमने के लिए नहीं बल्कि आपसी जुड़ाव, मानसिक सुकून और वहां के रंगों से जुड़ने के मकसद से सफर पर निकल रही है. यही वजह है की फैमिली ट्रिप्स में मल्टी जेनरेशन ट्रैवल, माइक्रो वेकेशन एक्सपीरियंस बेस्ड ट्रैवल और वैलनेस गेटवे जैसे ट्रेंड्स बढ़ते जा रहे हैं.
तीन पीढ़ियों का साथ, बढ़ रही है मल्टी जेनरेशन ट्रेवल की लोकप्रियता फैमिली टूरिज्म में अब दादा-दादी और नाना नानी भी एक्टिव हिस्सेदार बन गए हैं. कई परिवार अब छुट्टियों पर तीन पीढियाें के साथ जा रहे हैं ताकि सब मिलकर समय बिता सके. ऐसे ट्रिप्स में डेस्टिनेशन का चयन करते वक्त खास ध्यान दिया जाता है कि सभी उम्र के लिए गतिविधियां और सुविधा हो जैसे बच्चों के लिए खेल, युवाओं के लिए एडवेंचर और बुजुर्गों के लिए आरामदायक वातावरण हो.
कम समय ज्यादा सुकून माइक्रो वेकेशन को पसंद कर रहे लोग बिजी डेली शेड्यूल के कारण अब लंबी छुट्टियों की बजाय लोग 2 से 3 दिन की क्विक वेकेशन प्लान कर रहे हैं. वीकेंड ट्रिप्स या पास के टूरिस्ट डेस्टिनेशन ऐसे ऑप्शंस है जो कम समय में अच्छा अनुभव दे सकते हैं. यह माइक्रो वेकेशन में सिर्फ स्ट्रेस कम नहीं करते हैं बल्कि परिवार को भी एक दूसरे के करीब लाते हैं.
घूमने नहीं जीना है अनुभव आधारित यात्रा का करेज अब फैमिली ट्रैवल केवल फोटोज या म्यूजियम घूमने तक सीमित नहीं रहा. लोग ऐसी जगह की तलाश कर रहे हैं जहां में स्थानीय संस्कृति को महसूस कर सके. कुकिंग क्लास, ट्रेडिशनल क्राफ्ट, नेचर वर्क जैसी एक्टिविटीज अब लोगों की पसंद बन रही है. इन अनुभवों से यात्रा न सिर्फ मजेदार होती है बल्कि बच्चों और बड़ों के लिए सीखने का माध्यम भी बन जाती है.
वैलनेस गेटवे सेहत और सुकून दोनों जरूरी आजकल कई परिवार ऐसे वैकेशन पर जा रहे हैं जहां वे अपने मानसिक और शारीरिक सेहत पर ध्यान दें सके. योग, ध्यान, हेल्दी फूड और डिजिटल डिटॉक्स जैसी गतिविधियां ट्रिप्स का हिस्सा बनती जा रही है. उनका मकसद सिर्फ घूमने नहीं बल्कि पूरे परिवार के लिए रिफ्रेशिंग हेल्दी ब्रेक देना है.
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