ऑनलाइन होना जुड़ने, सीखने और महत्वपूर्ण फीड को शेयर करने का शानदार अवसर उपलब्ध कराता है, लेकिन उसके साथ कुछ चुनौतियां भी आती हैं. क्या आपने कभी गौर किया है कि आप बिना सोचे समझे एक दिन में सोशल मीडिया पर कितना समय बिताते हैं? जागने के बाद, बिस्तर पर जाने से पहले, खाने के दौरान या मेट्रो और गाड़ी में सफर करते हुए आप फौरन सोशल मीडिया अकाउंट ये देखने के लिए खोलते हैं कि नया क्या है. बिना अंदाजा लगाए कि सूचना से अपडेट रहने की आदत मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव डालती है.


मनोवैज्ञानिक डॉक्टर विधा नायर के मुताबिक सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल से सोशल मीडिया की लत लग सकती है, जो इन दिनों मानसिक स्वास्थ्य की आम समस्या हो गई है. डॉक्टर बताती हैं सोशल मीडिया की तरफ लोगों के जाने का मुख्य कारण कमेंट्स, शेयर की शक्ल में मिलनेवाली तत्काल मान्यता है. इससे शरीर में डोपामाइन के नाम से जाना जानेवाला हैप्पी हार्मोन जारी होता है, जो लोगों को बार-बार सोशल मीडिया की तरफ ले जाने को प्रेरित करता है.


सोशल मीडिया का इस्तेमाल कहीं आपको आदी तो नहीं बना रहा?


उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा समय बिताने से भी आसपास की वास्तविकता, जिंदगी और आत्मसम्मान का विचार प्रभावित होता है. हालांकि, हो सकता है आपको शुरू में न लगे कि ये कैसे प्रभावित कर रहा है, लेकिन समय के साथ उससे चिंता के विकार, डिप्रेशन, आत्मसम्मान और बेकाबू भावनात्मक व्यवहार की समस्याएं हो सकती हैं. सोशल मीडिया के आदी लोगों को ज्यादातर समय एहसास नहीं होता है कि उस पर उनका कितना समय खर्च हो रहा है या कैसे सोशल मीडिया उनकी जिंदगी को प्रभावित कर रहा है.


लत के नतीजे में दिमाग और शरीर की सेहत होती है प्रभावित


डॉक्टर ने सुझाव दिया कि मानसिक सेहत में सुधार लाने के लिए उपाय करने में देर नहीं करना चाहिए. सोशल मीडिया के इस्तेमाल को कम कर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ठीक किया जा सकता है. उसके अलावा, इससे आपको दूसरी गतिविधियों में शामिल होने का समय भी मिलता है. इस बात को समझना जरूरी है कि सोशल मीडिया पर आनेवाला फीडबैक वास्तविक नहीं होता है. दूसरे उपाय के तौर पर आप नए शौक की तलाश कर सकते हैं. आप ऐसी गतिविधि या शौक को अपनाएं जिसमें स्क्रीन टाइम शामिल न हो यानी उसमें आपको मोबाइल के इस्तेमाल न करना पड़ें.


सोशल मीडिया के इस्तेमाल में कटौती लाने की खातिर आप मेडिटेशन कर सकते हैं. मेडिटेशन आपके दिमाग को शांत रखने में मदद कर सकता है. अगर स्थिति बेकाबू होती है या आप अपने स्क्रीन टाइम को कम करने में सक्षम नहीं पाते हैं, तो प्रोफेशनल की मदद से छुटकारा पाने की कोशिश करें. सही समय पर मदद लेना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा हो सकता है.


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