Yogini Ekadashi 2020: योगिनी एकादशी का व्रत पापों का नाश करने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु की आराधना से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. इस व्रत का सभी व्रतों में अलग ही महत्व बताया गया है.


योगिनी एकादशी का वर्णन करते हुए स्कंद पुराण में बताया गया है कि पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी की तिथि को योगिनी एकादशी व्रत करने का विधान होता है. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा को विशेष फलदायी माना गया है.


श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया व्रत का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को एक बार सभी एकादशी व्रतों के बारे में बताया था तभी उन्होंने युधिष्ठिर को योगिनी एकादशी के बारे में भी बताया था. भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया कि योगिनी एकादशी का जो कोई भी व्रत विधिवत रखता है, उसके संकट मिट जाते हैं. आरोग्य प्राप्त होता है और हर प्रकार की सुख शांति और समृद्धि आती है. यही इस व्रत का महत्व है और लाभ है. भगवान ने बताया कि युधिष्ठिर योगिनी एकादशी का व्रत करने और प्रभु की उपासना करने सभी प्रकार के पापों का नाश हो जाता है. इतना ही नहीं अंत काल में व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस व्रत की महिमा तीनो लोक में बताई गई है.


योगिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि
इस व्रत में व्यक्ति को अनुशासन और संयम का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस व्रत में जमीन पर ही सोना चाहिए. 17 जून को प्रात:काल उठकर नित्यकर्म से निपटते हुए स्नान करें और इसके बाद व्रत का संकल्प लें. पूजा आरंभ करने से पूर्व भगवान विष्णु की पूजा करें. उन्हें स्नान कराएं और भोग लगाएं. पुष्प, धूप और दीप से आरती करें. दिन में योगिनी एकादशी की कथा जरुर सुननी चाहिए.


इन चीजों का दान करें
पूजा के बाद इस दिन किया जाने वाला दान भी श्रेष्ठ माना गया है. इस दिन जरूरतमंदों को दान देने से प्रभु प्रसन्न होते हैं और दैनिक जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करते हैं. दरिद्र नारायण की वस्त्र, धन और अन्न से मदद करनी चाहिए.


Yogini Ekadashi 2020: कल है योगिनी एकादशी का व्रत,जानें सही समय, पूजा विधि और व्रत कथा